Prakash Singh Badal Death: ‘पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत’ का नारा देने वाले प्रकाश सिंह बादल, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी अनसुनी बातें

Prakash Singh Badal Death: प्रकाश सिंह बादल का जन्‍म 8 दिंसबर 1927 को पंजाब के मालवा के पास अबुल खुराना गांव में हुआ था।उन्‍होंने गुरामी का दौर देखा था। वे एक जाट सिख परिवार से ताल्‍लुक रखते थे।

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Prakash Singh Badal Death top news today
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Prakash Singh Badal Death:देश की शान पंजाब राज्‍य के राजनीति के पितामह प्रकाश सिंह बादल का बीते मंगलवार निधन हो गया।लगातार 5 बार पंजाब के सीएम रह चुके प्रकाश सिंह बादल सबसे कम उम्र में मुख्‍यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम करवा चुके थे। कभी पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा देकर पंजाब की राजनीति को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले प्रकाश सिंह बादल अपने पीछे एक शून्‍य छोड़ गए हैं।
27 मार्च 1970 को जब वह पहली बार पंजाब के सीएम बने तब उनकी उम्र 43 वर्ष थी।इसके साथ की सबसे बुजुर्ग सीएम होने की लिस्‍ट में भी प्रकाश सिंह बादल का ही नाम आता है।

उन्होंने मोहाली स्‍थित फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने बादल के निधन पर दुख जताया। केंद्र सरकार ने बादल के निधन पर दो दिन (26 और 27 अप्रैल) के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।सरकारी मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं होगा।

Prakash Singh Badal Death News
Prakash Singh Badal.

Prakash Singh Badal Death: गुलाम भारत में हुआ था जन्‍म

Prakash Singh Badal Death: प्रकाश सिंह बादल का जन्‍म 8 दिंसबर 1927 को पंजाब के मालवा के पास अबुल खुराना गांव में हुआ था।उन्‍होंने गुरामी का दौर देखा था। वे एक जाट सिख परिवार से ताल्‍लुक रखते थे।उनके पिता का नाम रघुराज सिंह और मां का नाम सुंदरी कौर था। वर्ष 1959 में उन्‍होंने सुरिंदर कौर से विवाह किया। जिससे उन्‍हें दो बच्‍चे सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर हुए। साल 2011 में उनकी पत्‍नी का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया।

Prakash Singh Badal Death: आम आदमी पार्टी के प्रत्‍याशी ने दी थी शिकस्‍त

Prakash Singh Badal Death: साल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रकाश सिंह बादल ने लंबी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुड्डियां ने उन्हें 11,396 मतों से हरा दिया था। जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में प्रकाश सिंह बादल ने अपने प्रतिद्वंदी कैप्टन अमरिंदर सिंह को 22,770 मतों से हराया था। मालूम हो कि वह उनकी खास सीट थी। इसी सीट से वह 1997 से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके थे। मगर जीवन के आखिरी चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने 94 साल की उम्र में अपना आखिरी चुनाव लड़ा था।

Prakash Singh Badal Death: महज 20 साल में बने सरपंच

Prakash Singh Badal Death: देश की राजनीति में बादल की यात्रा महज 20 साल की उम्र में सरपंच के चुनाव के रूप में शुरू हुई थी।1980 के दशक में उग्रवाद की आग से झुलसते पंजाब को उन्होंने संभाला।इसके साथ ही विभिन्न मोर्चों के लिए जेल यात्रा भी की।

पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का दिया था नारा

बादल ने शिरोमणि अकाली दल को भी पंथिक से पंजाबी पार्टी में बदलने का काम किया था, जब 1996 के मोगा घोषणापत्र में उन्होंने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा दिया था।इसके बाद पार्टी ने बड़ी संख्या में हिंदू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। उन्हें 2007 और 2012 में पार्टी की लगातार दो जीत का श्रेय दिया गया, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व था।

वह अपनी सफलताओं को लोगों के सामने रखने से भी पीछे नहीं हटे हैं।उन्‍होंने एक बार किसी पत्रकार को बताया था कि वह हमेशा कहते थे कि “अस्सी किसी तारां घुसरू डबरू करके सरकार बना लेंदे हैं”।यानी हम किसी भी तरह अपनी सरकार बना ही लेते हैं। वह दिवंगत डिप्टी पीएम चौधरी देवी लाल के ‘पग-वट’ भाई थे और अंत तक चौटाला परिवार के बेहद करीब रहे।

केंद्र की राजनीति में निभाई अहम भूमिका

बादल साल 1996 से 2008 तक अकाली दल के अध्‍यक्ष रहे। 1977 में केंद्र की मोरारजी देसाई सरकार में ढाई माह तक कृषि और किसाल कल्‍याण मंत्री का पद भी संभाला।साल 1996 में बीजेपी और अकाली दल के गठबंधन में चुनाव लड़ा।

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