दीवाली पर क्यों बनाई जाती है Rangoli; जानें रंगोली बनाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?

मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम के लंका में विजय पाने के बाद जब वे माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तब अयोध्यावासियों ने भगवान राम के स्वागत में पूरे अयोध्या में साफ-सफाई करके हर घर के आंगन में और अयोध्या के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई थी।

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दिवाली पर क्यों बनाई जाती है Rangoli; जानें रंगोली बनाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?
दिवाली पर क्यों बनाई जाती है Rangoli; जानें रंगोली बनाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?

Rangoli: दीवाली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार दीवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश, कुबेर और धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी का पूजन करने का विधान है। इसके लिए कई दिनों पहले से लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने लगते हैं। दीवाली के मौके पर हर तरफ रौशनी और त्योहार की चमक होती है। घर को लाइट्स, फूलों, तोरण आदि से सजाते हैं। इस त्योहार पर रंगोली बनाने का भी रिवाज है। रंगोली न बनी हो तो दिवाली की सजावट अधूरी लगती है। मान्यता है कि दीवाली के दिन यदि मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाए तो मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।

कहा जाता है कि पुराने समय में जब बिजली हर घर में नहीं पहुंच पाती थी तब लोग अपने घरों को सजाने के लिए अलग-अलग रंगों से घर के आंगन में रंगोली बनाते थे। आज भी शहरों में कई लोग अपने घरों को रंगोली बनाकर सजाते हैं। लेकिन, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि रंगोली बनाने की परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई? तो आइए जानते हैं।

Rangoli की प्रथा भगवान राम के आगमन से हुई शुरू
Rangoli की प्रथा भगवान राम के आगमन से हुई शुरू

Rangoli की प्रथा भगवान राम के आगमन से हुई शुरू

मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम के लंका में विजय पाने के बाद जब वे माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तब अयोध्यावासियों ने भगवान राम के स्वागत में पूरे अयोध्या में साफ-सफाई करके हर घर के आंगन में और अयोध्या के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई थी। इतना ही नहीं, सभी जगह दीप जलाकर प्रज्जवलित भी किया गया था। मान्यताओं के अनुसार, तभी से ही हर साल दीवाली पर घरों में रंगोली बनाने की परंपरा शुरू हुई।

भारतीय पुरानों के अनुसार, भारत में रंगोली बनने के प्रथम साक्ष्य मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सभ्यताओं में मिले हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार कहा जाता है कि इन दोनों सभ्यताओं में अल्पना के चिन्ह मिले हैं। जो रंगोली से काफी मिलते जुलते हैं। मान्यताओं के अनुसार, अल्पना, वात्स्यायन के काम सूत्र में वर्णित चौसठ कलाओं में से एक हैं।

Rangoli की प्रथा भगवान राम के आगमन से हुई शुरू
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी बनाई जाती है Rangoli

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी बनाई जाती है Rangoli

दरअसल, दीवाली को रोशनी के त्योहार के रूप में जानते हैं। लेकिन, दीवाली पर रंगोली बनाना भी उतना ही शुभ माना जाता है जितना दीपक जलाना। मान्यताओं के अनुसार, दीवाली के दिन माता लक्ष्मी हर घर जातीं हैं। इसलिए घर के मुख्य द्वार को आकर्षक और सुन्दर बनाने के लिए लोग अपने घरों में रंगोली बनाते है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

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