उत्तर प्रदेश में साल 2022 में 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है। सूबे में सूरज के साथ साथ राजनीतिक माहौल भी गरम है। पार्टियां चुनावी मैदान तैयार करने में जुटी हैं। कुछ ऐसी भी पार्टियां है जो राज्य में पहली बार खेती करने के लिए जमीन तलाश रही हैं। इशारा AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की तरफ है। औवैसी इस बार 100 प्रत्याशियों को मैदान में उतार रहे हैं। जमीन की तलाश करते हुए ओवैसी बहराइच पहुंच गए हैं।
गुरुवार को भागीदारी मोर्चा के संयोजक और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से मिलने के बाद ओवैसी बहराइच पहुंचे। यहां उन्होंने पार्टी कैंप का शुभारंभ किया। इसके बाद वे 17 बार भारत पर आक्रमण करने वाले क्रूर शासक महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी के मजार पर जियारत करने पहुंच गए। ओवैसी ने अपने इस रवैये से राज्य में नया विवाद खड़ा कर दिया है।
सालार मसूद गाजी को महाराजा सुहेलदेव ने युद्ध में मौत के घाट उतार दिया था। ओम प्रकाश राजजभर की पार्टी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर है। वे खुद को सुहेलदेव का पुजारी कहते हैं। भारत पर 17 बार आक्रमण करने वाला, अपार संपत्ति को लूटने वाले के भांजे को महाराज ने मौत के घाट उतार दिया थ। उनके के ही पुजारी ऐसे राजनेता का साथ दे रहा है जो देश के दुश्मनों की पूजा करता है।
भारतीय जनता पार्टी भागीदारी मोर्चा के संयोजक और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पर हमलावर है। बीजेपी ने पूछा कि जिस क्रूर शासक ने भारत को लूटा, हिंदूओं पर अत्याचार किया। मंदिरों को तोड़ डाला और जिसके आतंक को खुद महाराज सुहेलदेव ने खत्म किया उसे पूजने वाले के साथ ओम प्रकाश राजभर कैसे गठबंधन कर सकते हैं?
भाजपा ने राजभर पर तंज कसते हुए सवाल पूछा है। कहा, राजभर बताएं कि किसके साथ हैं? महाराजा सुहेलदेव राजभर की विरासत संभालने वाले ओम प्रकाश राजभर अपने समाज को कैसे जवाब देंगे। ओवैसी आज अपनी सियासत की शुरुआत उस सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह से कर रहें है, जो गाजी के अत्याचारों की परिचायक है। राजभर को जवाब देना होगा कि सालार मसूद गाजी के अनुयायियों के साथ राजा सुहेलदेव के अनुयायी कैसे गठबंधन करेंगे।
बीजेपी के सवाल पर राजभर ने जवाब दिया। कहा कि सालार मसूद से हमें कोई समस्या नहीं है। वो जो करने आया था, वही कर रहा था। वो कोई आतंकवादी नहीं था। सालार मसूद, महमूद गजनवी का भांजा था। वह भारत पर आक्रमण करते हुए साल 1033 में बहराइच पहुंचा था। जहां उसका तत्कालीन महाराजा सुहेलदेव राजभर से भीषण युद्ध हुआ। जिसमें सालार मसूद मारा गया।
इतिहास के पन्नों में झाकर देखें तो, महमूद गजनवी यमीनी वंश का तुर्क सरदार ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था। उसका जन्म ई. 971 में हुआ था। 27 साल की उम्र में ई. 998 में वह शासनाध्यक्ष बना था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहां की अपार सम्पत्ति को वह लूट कर ग़ज़नी ले गया था। आक्रमणों का यह सिलसिला 1001 ई. से आरंभ हुआ। यहां उसने मंदिरों को लूटने के बाद तोड़ दिया। हिंदुओं को प्रताड़ित किया। महमूद का सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर था। मंदिर पर लगा सोना उसने लूट लिया। उसके साथ उसका भांजा सालार भी था वह हिंदू पुजारियों को प्रताड़ित करता था। साथ ही हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाता था।