आज 16 नवंबर है और इस तारीख को एक चीज ने खास बना दिया है। आज दुनिया भर के वैज्ञानिक वजन तौलने वाले किलोग्राम के बाट को बदलने के लिए वोट करेंगे। हालांकि इसका आप पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। आप मार्केट में पहले की तरह ही खरीदारी करेंगे। सिर्फ किलोग्राम के बाट के वजन का तरीका बदल जाएगा।

दरअसल, अभी बाट के वजन के लिए जो तरीका अपनाया जाता है, उस तरीके को वैज्ञानिक बदलना चाहते हैं। अगर बहुमत का वोट बदलाव के पक्ष में पड़ेगा तो अभी जिस तरीके से बाट का वजन किया जाता है, वह तरीका बदल जाएगा।

kilogramआप सभी जानते हैं कि अभी दुनिया भर के किलोग्राम का वजन तय करने के लिए सिलिंडर के आकार के एक ‘बाट’ का इस्तेमाल किया जाता है। यानी उसका वजन जितना होगा, उतना ही किलोग्राम का स्टैंडर्ड वजन होगा। यह सिलिंडर प्लैटिनियम और इरिडियम से बना है जिसे इंटरनेशनल प्रोटोकोल (International Protocol Kilogram) किलोग्राम के नाम से जाना जाता है और इसका उपनाम ले ग्रैंड के (Le Grand K) है। यह फ्रांस के सेवरे शहर की एक लैबरेटरी इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स ऐंड मीजर्स में रखा है। 30 या 40 साल में एक बार इस प्रोटोटाइप को निकाला जाता है। फिर दुनिया भर में वजन के लिए इस्तेमाल होने वाले किलोग्राम के बाट को लाकर इसके मुकाबले तौला जाता है।

वैज्ञानिक चाहते हैं कि किलोग्राम के बाट की पैमाइश के लिए किसी चीज का इस्तेमाल न हो जैसा कि अभी होता है। इसकी जगह वे भौतिकी में इस्तेमाल होने वाले प्लैंक के स्थिरांक (Planck’s constant) को पैमाना बनाना चाहते हैं। जिस तरह दूरी की पैमाइश के लिए मीटर को स्टैंडर्ड इकाई निर्धारित किया गया, उसी तरह किलोग्राम निर्धारित करने के बारे में भी सोचा जा रहा है। फिलहाल मीटर प्रकाश द्वारा एक सेकंड के 300वें मिलियन में तय की गई दूरी के बराबर है।

what is the problem

भौतिकी में मापन के लिए कई तरह के नियतांक या स्थिरांक का इस्तेमाल होता है। स्थिरांक किसी चीज की उस मात्रा को कहा जाता है जिसके बारे में माना जाता है कि उसमें बदलाव नहीं होता है। जैसे अवोगाद्रो का स्थिरांक 6.02214129(27)×1023 है यानी यह बताता है कि 1 मोल पदार्थ में अणुओं या परमाणुओं की संख्या 6.02214129(27)×1023 होगी। ठीक इसी तरह प्लैंक का नियतांक है जो मैक्स प्लांक नाम के जर्मन वैज्ञानिक ने दिया। यह बताता है कि किसी खास कण के अंदर ऊर्जा का वजन कितना होगा। प्लैंक का नियतंक 6.626176 x 10-34 joule-seconds के बराबर होता है।

पैरिस के सेवरे में जो ले ग्रैंड के है, उसकी एक ऑफिशल कॉपी भारत के पास भी है। इसको दिल्ली स्थित नेशनल फिजिकल लैबरेटरी में रखा गया है। इसको नं. 57 कहा जाता है और यह भारत का परफेक्ट किलो है। कुछ दशकों पर नियमित रूप से इसे पैरिस भेजा जाता है जहां इसे चेक किया जाता है। भारत के सारे किलो को नं. 57 के हिसाब से ही तौला जाता है।

change the kilogran wiegjt

ऐसा माना जा रहा है कि पैरिस में रखे हुए किलो के वजन दिन ब दिन कम होता जा रहा है। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि इसका क्या कारण है। कुछ सालों पहले असल के वजन में 30 माइक्रोग्राम बदलाव आ गया था। भले ही हमारे लिए यह कोई मायने नहीं रखता है लेकिन यह न के बराबर वजन भी अन्य उद्योग जैसे फार्मा इंडस्ट्री आदि के लिए काफी मायने रखते हैं।

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