केंद्र सरकार ने राज्यसभा में जानकारी दी है कि देश के सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद अभी खाली हैं और देश के 9 हाईकोर्ट बगैर किसी नियमित मुख्य न्यायाधीश के काम कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि उसे सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से इन खाली पदों को भरने के संबंध में अभी तक प्रस्ताव नहीं मिला है।

यह जानकारी केंद्रीय कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में राज्यसभा को दी। पीपी चौधरी ने बताया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 खाली पदों को भरने और 9 हाईकोर्ट में चीफ जस्टिसों की नियुक्ति के लिए कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सहित न्यायाधीशों के 31 पद हैं लेकिन इस वक्त 6 पद खाली हैं। बॉम्बे, कलकत्ता, दिल्ली, आंध्र प्रदेश/तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक और मणिपुर के हाईकोर्ट कार्यवाहक चीफ जस्टिस की देखरेख में काम कर रहे हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और 24 हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की जो प्रक्रिया है उसके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम सरकार को उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करता है। जिस पर सरकार विचार करती है और उसके बाद नियुक्तियां की जाती हैं। कॉलेजियम में भारत के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज शामिल होते हैं।

हालांकि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस रंजन गोगोई के कॉलेजियम ने मद्रास, कर्नाटक और कलकत्ता हाईकोर्ट में 19 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है। जजों के तौर पर जिन नामों के लिए अनुशंसा की गई है वह सभी इस वक्त वकालत कर रहे हैं यानी वकील हैं। मद्रास हाईकोर्ट के लिए 9, कर्नाटक के लिए 5 और कलकत्ता के लिए 5 जजों की नियुक्ति की अनुशंसा तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने की है। 4 दिसंबर को हुई कॉलेजियम की बैठक में मध्यप्रदेश, कर्नाटक, झारखंड और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पदस्थ 23 अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाने की भी सिफारिश की गई है।

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