ताजमहल के आस-पास पर्यावरण संरक्षण को लेकर यूपी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में ताज संरक्षित क्षेत्र यानी ताज ट्रैपेजियम जोन (टीटीजेड) के संरक्षण के बारे में कई उपायों की बात की है। जिनमें पेड़ लगाने, इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल, यमुना में रबर डैम बनाकर ताजमहल के लिए पानी का स्तर बनाए रखने जैसे कई उपाय बताए गए हैं। हलफनामें में (टीटीजेड) के संरक्षण को लेकर अगले तीन साल का व्यौरा दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के बताए गए उपायों पर कहा कि यह सिर्फ फौरी उपाय हैं, आप इस पर एक विस्तृत योजना तैयार किजिए जिसमें लंबे समय तक उठाए जाने वाले कदमों का ध्यान रखा जाए, जिससे ताज अगले 100 सालों तक सुरक्षित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की आपका यह प्लान सिर्फ नौकरशाहों द्वारा बनाया गया है, लेकिन आपको अपना प्लान बनाने के लिए विशेष्ज्ञों की जरूरत होगी जिसमें  इतिहास, संस्कृति, पर्यावरण से जुड़े लोगों को शामिल करें जिससे आप को प्लान बनाने में मदद मिलेगी, कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार योजना बनाने में सिविल सोसाइटी के लोगों की भी मदद लें। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि आप जल्दबाजी ना करें क्योंकि जल्दबाजी में काम खराब होता है। कोर्ट ने सरकार को कहा कि ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) को पूरी तरह से संरक्षित करने के लिए विज़न डॉक्यूमेंट भी दे।

बता दें कि ताज ट्रैपेजियम जोन 6 जिलों में फैला हुआ है और इसमें करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है, इसमें में उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और इटावा के अलावा राजस्थान का भरतपुर भी आता है।

ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए ताज ट्रैपेजियम जोन अथारिटी पिछले 20 वर्षों से काम कर रहा है और कई कदम भी उठाए हैं लेकिन उसके बावजूद ताज के आस-पास प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई है। बढ़ते प्रदूषण के कारण इस ऐतिहासिक इमारत को लगातार नुकसान पहुंच रहा है। ताजमहल पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि सन 2002 से 2016 के दौरान यहां प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ।

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