ताजमहल संरक्षण मामले पर यूपी सरकार की तरफ से पेश विज़न डॉक्यूमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस मदन बी लोकुर ने केंद्र और यूपी सरकार की ओर से ताजमहल के संरक्षण के दावों की हकीकत पर कहा कि यूपी सरकार की ओर से दाखिल विजन डाक्यूमेंट कुछ अलग बयां कर रहा है, मौखिक तौर पर कुछ और कहा जा रहा है, जबकि हकीकत में चल कुछ और ही चल रहा है। क्या हम यहां बैठकर विज़न ड्राफ्ट में सुधार करें ?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कभी पर्यावरण मंत्रालय योजना बनाता है, कभी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कभी यूपी सरकार और कभी पर्यटन मंत्रालय। यह एक विश्व धरोहर के प्रति सरकार की गंभीरता को दिखाता है। कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या आप UNESCO को रिपोर्ट देते हैं। क्या होगा अगर UNESCO विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले ले? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और यूपी एक-एक अफसर का नाम बताएं जो ताजमहल के संरक्षण के लिए जवाबदेह हैं। इतने विभाग और लोग अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं, किसी को पता ही नहीं है कि हो क्या रहा है।

ताज ट्रेपेजियम जोन में 1167 प्रदूषणकारी उद्योगों की मौजूदगी पर भी कोर्ट ने हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि अब आप इन्हें स्वच्छ ईंधन पर चलाने की बात कर रहे हैं। यह स्वच्छ ईंधन क्या होता है ? क्या उससे प्रदूषण नहीं होगा? कोर्ट ने ड्राफ्ट का हिंदी में अनुवाद न किये जाने पर भी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि आम लोगों को यह जानने का हक है कि सरकार ताजमहल के लिए क्या करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि ताजमहल को लेकर ड्राफ़्ट विजन को परामर्श के लिए ऑन लाइन डाला जाए।

यूपी सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल ने विज़न डॉक्युमेंट पूरा करने के लिए समय मांगा तो कोर्ट में कहा कि रीजनल प्लान और मास्टर प्लान को पूरा होने में महीने का समय लगेगा, इस बीच क्या होगा?

मामले की सुनवाई के दौरान TTZ कमिश्नर ने अथॉरिटी में स्टाफ की कमी की बात भी उठाई और कहा कि उन्होंने इसे लेकर पिछले 3 साल में उत्तर प्रदेश सरकार को 20 से 25 पत्र लिखे लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये मजाक बन गया है। अब 31 जुलाई से सुप्रीम कोर्ट रोजाना इस मामले की सुनवाई करेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here