ILRF के मंच से बोले जस्टिस एमएल मेहता, ”आज के समय में मध्यस्थता अदालती प्रक्रिया का अहम हिस्सा”

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शनिवार को इंडिया लीगल रिसर्च फाउंडेशन की ओर एक सिम्पोजियम आयोजित किया गया। जिसमें जस्टिस एमएल मेहता बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किए गए। जस्टिस मेहता डेल्ही डिसप्यूट रिजॉल्यूशन सोसायटी के चेयरमैन हैं। इससे पहले वे दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।

कार्यक्रम के दौरान एपीएन न्यूज की एडिटर इन चीफ राजश्री राय ने जस्टिस मेहता से सवाल किए। जस्टिस मेहता ने कहा कि मध्यस्थता या मेडिएशन से आपसी विवादों को आसानी से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ता भी मध्यस्थता शुरू कर सकते हैं। जस्टिस मेहता ने कहा कि आने वाले वक्त में मेडिएशन काउंसिल ऑफ इंडिया नाम की नियामक संस्था भी बनाई जाएगी।

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एक सवाल के जवाब में जस्टिस मेहता ने बताया कि आज के समय में मध्यस्थता अदालती प्रक्रिया का अहम हिस्सा बन गयी है। यही नहीं मेडियेशन के अवॉर्ड को भी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय विवादों को भी मध्यस्थता से सुलझाया जा रहा है। जस्टिस मेहता ने जोर देते हुए कहा कि मेडियेशन में एथिक्स होना जरूरी है। प्राकृतिक न्याय के साथ समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेडिएशन हमारी समझौता-संस्कृति बनेगी। मध्यस्थ का न्यूट्रल होना जरूरी है। कोर्ट में जाने से पहले मेडिएशन अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

अदालतों पर लगातार बढ़ते काम के बोझ को ध्यान में रखते हुए जस्टिस मेहता ने राय दी कि वादकारियों को अदालतों में जाने से पहले अनिवार्य रूप से मध्यस्थता प्रक्रिया से गुजरना चाहिए। मध्यस्थता की प्रक्रिया इतनी संतुलित है कि न्याय न मिलने का डर नहीं रहता। जस्टिस मेहता ने कहा कि ऐसे समय में जब कारोबार राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर रहा है तो सीमा पार विवादों के नियामक मानदंडों को मजबूत करने का समय आ गया है।

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कार्यक्रम में जस्टिस मेहता का परिचय देते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप राय ने कहा कि माननीय न्यायमूर्ति का परिचय और स्वागत करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। न्यायमूर्ति मेहता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और दिल्ली में जिला अदालतों में न्यायाधीश के रूप में सेवा दे चुके हैं। जस्टिस मेहता का करियर चार दशकों से अधिक का है और अभी भी जारी है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले दिए।

वह 2009 में ADR पर अंतर्राष्ट्रीय फ़ेलोशिप के लिए चुने जाने वाले पहले एशियाई और JAMS फाउंडेशन के पहले फ़ेलो रहे हैं और उन्हें उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक विवाद समाधानकर्ता के प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है। डेल्ही डिसप्यूट रिजॉल्यूशन सोसायटी के चेयरमैन के रूप में आज तक डीडीआरएस 40,000 से अधिक मामलों को हल करने में सक्षम रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे वर्ष 2006 में सर द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और तब से सर एक मार्गदर्शक रहे हैं, उनकी बातें मुझे प्रोत्साहित करती हैं और उनकी शुभकामनाएं सफलता की दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं। मैं सर को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। वह वास्तव में मध्यस्थता का विश्वकोश हैं।

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