Paid Menstrual Leave: दुनिया भर में हो रही है बहस! क्या वाकई में महिलाओं को है ‘पेड पीरियड लीव’ की जरूरत?

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Paid Menstrual Leave: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर से चर्चा में हैं। स्मृति ईरानी ने संसद में एक सवाल के जवाब में पीरियड लीव्स को लेकर कुछ ऐसा कह दिया कि लोगों ने इस बात पर बवाल करना शुरू कर दिया है। दरअसल, 13 दिसंबर को राज्यसभा में पीरियड लीव्स को लेकर एक ऐसा सवाल किया गया जिसे लेकर केंद्रीय बाल एवं महिला विकास मंत्री स्मृति ईरानी घेरे में आ गईं।

स्मृति ईरानी के मुताबिक, पीरियड नहीं है महिलाओं के लिए बाधा!

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स्मृति ईरानी ने उच्च सदन में राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य मनोज कुमार झा द्वारा ‘पीरियड पेड लीव’ पॉलिसी पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रही थीं उन्होने कहा, “एक मासिक धर्म वाली महिला के रूप में मासिक धर्म और मासिक धर्म चक्र एक बाधा नहीं है, यह महिलाओं की जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है।

स्मृति ईरानी जवाब देते कहती हैं कि महिलाओं के लिए पीरियड होना एक नॉर्मल बात है। जहां तक रही दिक्कत की बात तो कुछ महिलाओं को ज्यादा तो कुछ को अक्सर कम समस्या होती ही है। इसे आराम से, दवाई से या खानपान से ठीक किया जा सकता है।

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भारत में बिहार और केरल में मिल रही पेड लीव

साल 1992 में बिहार वो पहला राज्य था जहां सरकारी कर्मचारियों के लिए पीरियड लीव्स को लेकर प्रावधान बनाया गया था। यह अपने आप में एक अनोखी पहल थी और लालू यादव सरकार ने इसे मंजूरी दी थी।यहां महिलाओं को हर महीने दो अतिरिक्त छुट्टी दी जाने लगी। इसके बाद सिर्फ केरल ही ऐसा राज्य है जिसने पीरियड लीव्स को मंजूरी दी है। इन दोनों राज्यों के अलावा और कोई भी राज्य नहीं है जहां पीरियड लीव्स का किसी भी तरह का कोई प्रावधान है।

कुछ समय पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पीरियड लीव्स को लेकर इसी तरह का सवाल उठाया था, लेकिन मंत्रालय की तरफ से उन्हें भी यही जवाब मिला था कि सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर कोई बात नहीं कर रही है।

स्मृति ईरानी के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर आ रहे हैं ऐसे रिएक्शन

स्मृति ईरानी ने खुद ही स्वीकारा है कि उनका बयान व्यक्तिगत था लेकिन उनके बयान के आधार पर लोगों ने जिस तरह की प्रतिक्रिया देना शुरू किया वह इस मुद्दे पर समाज का नजरिया भी बताता है।

2017 में भी हुई थी पहली बहस

यह पहला मौका नहीं है जब पीरियड पेड लीव को लेकर बहस शुरू हुई है। 2017 में कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद निनॉन्ग ने इसको लेकर बिल रखा था। बिल में कहा गया था कि सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को पीरियड के दौरान 2 दिन का अवकाश मिलना चाहिए। इसके बदले उनके पैसे नहीं कटने चाहिए उस वक्त भी बिल को लेकर लोग दो हिस्सों में बंट गए थे। एक वर्ग ने इस बिल की तारीफ की थी और दूसरा वर्ग उस प्रस्ताव से सहमत नहीं था।

क्या विदेशों में भी है पीरियड लीव्स का प्रावधान?

दुनिया में सबसे पहले पेड पीरियड लीव की शुरुआत स्पेन से हुई । स्पेन ऐसी पहली यूरोपियन कंट्री है जिसमें सेक्शुअल हेल्थ राइट्स का प्रावधान अलग से दिया गया है। वहां तीन से लेकर पांच दिनों तक की पीरियड लीव्स मिलती है। इसके अलावा, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया और जाम्बिया जैसे देश भी पीरियड लीव्स देते हैं।

क्या पीरियड लीव्स की है जरूरत?

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिखित पत्र में यह हाईलाइट किया गया था कि सिर्फ कुछ ही महिलाओं को पीरियड्स को लेकर इतनी दिक्कत होती है कि वह काम ना कर सकें और वो समस्याएं दवा लेकर भी मैनेज की जा सकती हैं। ऐसे में हर वर्कप्लेस में पीरियड लीव्स का प्रावधान बनाना बिल्कुल गलत होगा।

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