सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ेगा। लोकप्रहरी नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा, कि उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जल्द से जल्द अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा। यूपी में अभी मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और एनडी तिवारी के पास लखनऊ में सरकारी बंगला है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उस कानून के खिलाफ सुनाया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला दिए जाने का प्रावधान किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में यूपी सरकार के कानून को रद्द करते हुए कहा, कि यह कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यदि कोई शख्स मुख्यमंत्री का पद छोड़ देता है तो वह आम आदमी के बराबर हो जाता है। इसलिए उसे ताउम्र के लिए सरकारी सुविधाएं देना गैरकानूनी और असंवैधानिक है। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है।

दरअसल, समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक कानून बनाया था, जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को रहने के लिए सरकारी बंगला दिए जाए का प्रावधान किया गया था। इसी कानून को लोकप्रहरी नाम के एनजीओ ने याचिका के जरिए चुनौती दी थी, जिसपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, यह संशोधन ‘मनमाना, भेदभाव करने वाला’ और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है। कोर्ट ने कहा कि यदि एक बार कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता।

एनजीओ ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज़, अलाउंस एंड अदर फैसिलिटीज एक्ट 1981 का हवाला दिया था। इस एक्ट के सेक्शन 4 के अनुसार, सरकारी पद पर रहते हुए मंत्री और मुख्यमंत्री एक निशुल्क सरकारी आवास के हकदार हैं, लेकिन जैसे ही वह पद छोड़ेंगे उन्हें 15 दिन के भीतर सरकारी आवास खाली करना होगा।

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