Supreme Court: तलाक- ए- हसन पर की बड़ी टिप्‍पणी, SC ने कहा- पहली नजर में अनुचित नहीं

Supreme Court: तलाक-ए-हसन में एक-एक महीने के अंतराल में तलाक एक बार बोला जाता है। यानी शौहर अपनी पत्‍नी को छोड़ता नहीं है। वह उसी के साथ रहती है। ऐसे में 3 महीने में 3 तलाक मुकम्‍मल होते हैं।

0
159
Supreme Court on Collegium
Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुस्‍लिमों में तलाक की प्रथा यानी तलाक-ए-हसन पहली नजर में इतना भी अनुचित नहीं लगता।यह तीन तलाक की तरह नहीं है। महिलाओं के पास भी ‘खुला’ का विकल्‍प है। जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने टिप्‍पणी करते हुए कहा कि प्रथम दृश्‍टया हम याचिकाकर्ताओं से सहमत नहीं हैं।पीठ नहीं चाहती कि यह किसी अन्‍य कारण से एजेंडा बने। एक मुस्लिम महिला ने तलाक-ए-हसन के जरिये तलाक की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।

Supreme Court: तलाक को महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण बताया

याचिका में कहा गया था कि तलाक की यह विधि महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है। वहीं याचिकाकर्ता की वकील पिंकी आनंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुददे को अनसुलझा छोड़ दिया।पीठ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में शादी के टूटने के आधार पर तलाक दे दिया है और पूछा है कि क्‍या वह मेहर लेने के बाद उस विकल्‍प का पता लगाने के लिए तैयार होगी। यह तीन तलाक नहीं है।आपके पास तलाक के जरिये तलाक का विकल्‍प भी है। यदि दो लोग साथ नहीं रह सकते हैं, तो हम शादी के टूटने पर तलाक दे रहे हैं।

अदालत के हस्‍तक्षेप के बिना भी आपसी सहमति से तलाक दे सकते हैं। बस मेहर का ध्‍यान रखना होगा।इसके बाद सुनवाई 29 अगस्‍त के लिए स्‍थगित कर दी गई।

Supreme Court: तीन महीने में मुकम्‍मल होता है तलाक

तलाक-ए-हसन में एक-एक महीने के अंतराल में तलाक एक बार बोला जाता है। यानी शौहर अपनी पत्‍नी को छोड़ता नहीं है। वह उसी के साथ रहती है। ऐसे में 3 महीने में 3 तलाक मुकम्‍मल होते हैं। अगर 3 माह के अंदर सुलह हो गई तो ठीक वरना तलाक हो जाता है। वहीं, खुला यानी स्‍त्री द्वारा लिया जाने वाला तलाक है। इसके तहत इस्‍लाम में औरतों को तलाक लेने का हक देता है।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here