Supreme Court: महिला के लिए विवाह का बहुत महत्‍व, SC ने कहा-आप उसके साथ मत रहिये, लेकिन उसे विवाहित रहने दीजिये, तलाक किया निरस्‍त

Supreme Court: कोर्ट ने कहा कि ठीक है, यदि आपने संसार का त्‍याग किया है, तो इसका मत‍लब आपने सब कुछ त्‍याग दिया है। हम आपसे दूसरा विवाह करने को नहीं कह रहे हैं। हम बस आपको मिली तलाक की डिक्री को ही निरस्‍त कर रहे हैं।

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्‍ताह एक दिलचस्‍प फैसला सुनाया। जिसमें संसार का परित्‍याग कर चुके एक साधु को मिली तलाक की डिक्री (हुक्‍मनामा) को निरस्‍त कर दिया गया। तलाक को निरस्‍त करते हुए कोर्ट ने कहा कि भारत में सामाजिक स्थितियों को देखते हुए महिला के लिए विवाह को बहुत महत्‍व है, बेशक आप उसके साथ मत रहिये, लेकिन उसे विवाहिता रहने दीजिये।

जस्टिस यूयू ललित और एस रविंद्र भट की पीठ एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें उसने पति को छोड़ने के आधार पर मिले तलाक के फैसले को चुनौती दी थी।इस दौरान पति की ओर से पेश वकील ने माननीय कोर्ट को बताया कि उसने संसार का त्‍यागकर साधु जीवन अपना लिया है। अब वह वैवाहिक जीवन नहीं जी सकता है।

Supreme Court on Divorce Decree.
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Supreme Court: कोर्ट ने कहा- हम आपसे दूसरा विवाह करने को नहीं कह रहे

इस पर कोर्ट ने कहा कि ठीक है, यदि आपने संसार का त्‍याग किया है, तो इसका मत‍लब आपने सब कुछ त्‍याग दिया है। हम आपसे दूसरा विवाह करने को नहीं कह रहे हैं। हम बस आपको मिली तलाक की डिक्री को ही निरस्‍त कर रहे हैं। आपको इससे क्‍या फर्क पड़ेगा, लेकिन ये जरूर है कि इस आदेश के बाद आप विवाह चाहकर भी नहीं कर सकते।

आपने जो 5 लाख रुपये की राशि अपनी पत्‍नी को दी है, उसे उसके पास ही रहने दीजिए। यह एक प्रकार से मुआवजा ही माना जाएगा।
हालांकि उसने आपसे कोई मांग भी नहीं रखी है। कोर्ट ने कहा कि आप पिछले 18 वर्षों से अलग रह रहे हैं। लेकिन विवाह की परिकल्‍पना और विवाह का स्‍टेटस महिला के लिए बेहद अहम जगह रखता है। जिस तरह से समाज उन्‍हें देखता है। उस हिसाब से महिला के लिए विवाह का बहुत महत्‍व है। उसे विवाहिता की बने रहने दीजिये।

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