Supreme Court: नोटबंदी के फैसले पर जताई थी असहमति, जानिए अब Hate Speech को लेकर क्‍या बोलीं जस्टिस बीवी नागरत्‍ना ?

Supreme Court: इस पूरे केस पर बेंच के फैसले पर असहमति व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि हाल के दिनों में नफरती और गैरजिम्मेदाराना भाषण चिंता का कारण हैं। क्योंकि हेट स्‍पीच समाज के लिए हानिकारक है।

0
131
Supreme Court and Justice Nagrathna
Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए स्‍पष्‍ट किया कि मंत्री अथवा उच्‍च पदस्‍थ अधिकारियों की ओर से दिए गए हर बयान को सरकारी बयान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मंत्री एवं उच्‍च पदस्‍थ पर आसीन लोगों की अभिव्यक्ति के मसले पर फैसला सुनाया। पांच जजों की संविधान पीठ के जज जस्टिस रामासुब्रमण्यम ने फैसला पढ़ते हुए कहा राज्य या केंद्र सरकार के मंत्रियों, सासंदों, विधायकों एवं उच्च पदस्‍थ व्यक्तियों की अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी पर कोई अतिरिक्त पाबंदी की जरूरत नहीं है।

जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने 4-1 के आधार पर अहम फैसला सुनाया। संविधान पीठ में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने दोनों बार बेंच से अलग रुख रखा है।गौरतलब है कि कल भी नोटबंदी की वैधता पर आए फैसले में जस्टिस बीवी नागरत्‍ना ने फैसले पर असहमति जताई थी।

Supreme Court. on hate speech.
Supreme Court.

Supreme Court: जानिए क्‍या बोलीं जस्टिस बीवी. नागरत्‍ना?

Supreme Court:इस पूरे केस पर बेंच के फैसले पर असहमति व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि हाल के दिनों में नफरती और गैरजिम्मेदाराना भाषण चिंता का कारण हैं। क्योंकि हेट स्‍पीच समाज के लिए हानिकारक है। अभद्र भाषा संविधान के मूलभूत मूल्यों पर हमला करती है।

उन्होंने कहा, भारत जैसे बहुलता और बहु-संस्कृतिवाद पर आधारित देश में नागरिकों की एक दूसरे के प्रति पारस्परिक जिम्मेदारियां हैं। उन्‍होंने कहा कि यह पार्टी पर निर्भर करता है कि वह अपने मंत्रियों के भाषणों को नियंत्रित करे। एक आचार संहिता बनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कोई भी नागरिक जो इस तरह के भाषणों या सार्वजनिक अधिकारी द्वारा अभद्र भाषा आदि से आहत महसूस करता है, अदालत से संपर्क कर सकता है। उन्होंने कहा, यह संसद के विवेक पर निर्भर करता है कि वह नफरती भाषण और अपमानजनक टिप्पणियों को रोकने के लिए कानून बनाए।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here