सुप्रीम कोर्ट ने एनआरआई से शादी करने वाली आठ महिलाओं की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इन महिलाओं ने कहा है कि विदेश में रहने वाले ये पति उनसे विवाह करने के बाद उन्हें छोड़कर विदेश भाग गए। इन पतियों का पासपोर्ट रद्द किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह नोटिस मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से आई आठ महिलाओं की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। महिलाओं ने याचिका में कहा कि उनके पतियों का पासपोर्ट निरस्त कर उन्हें भारत लाना चाहिए। क्योंकि यह धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार को विशेष कानून बनाने का निर्देश दिया जाए क्योंकि ऐसे मामले आए दिन बढ़ रहे हैं, एनआरआई पति महिलाओं को ठग रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाब समेत पूरे देश ऐसी कई महिलाएं और नवविवाहिताएं हैं, जिन्हें एनआरआइ दूल्हों की ओर से धोखा देकर शादी रचाई गई है। पर उन्हें अभी तक इंसाफ नहीं मिल रहा है। वहीं, ऐसे मामलों को लेकर महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग से प्रवासी भारतीय (एनआरआइ) से शादी के मामलों की सुनवाई के लिए अलग सेल बनाने की मांग कर चुकी हैं।

इससे पहले मेनका ने इसी साल जुलाई में राज्यों से कहा था कि एनआरआइ की शादी के पंजीकरण के तत्काल बाद मंत्रालय को इसकी जानकारी दी जाए ताकि वेबसाइट अपडेट की जा सके। मंत्रालय ने आदेशित किया था कि एनआरआइ की शादी के सात दिनों के भीतर पंजीकरण जरूर कराया जाए। ऐसा नहीं करने पर संबंधित लोगों के वीजा और पासपोर्ट जारी नहीं किए जाएंगे। एक उद्देश्य यह भी था कि आरोपित एनआरआइ की संपत्तियों को निलंबित किया जा सके, जो नियमत: संभव है।

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