भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल डील को लेकर जारी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र से राफेल पर फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने केंद्र को 29 अक्टूबर तक का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया कि उसे राफेल की कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए। कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा है।

इस बीच केंद्र ने भी राफेल पर दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध किया और यह कहते हुए उन्हें खारिज करने का अनुरोध किया कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिस पर अटर्नी जनरल के.के  वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और ऐसे मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है।

आपको बता दें कि अधिवक्ता विनीत धांडा, कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला और अन्य की ओर से कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसपर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने सुनवाई की। इन याचिकाओं के जरिए राफेल सौदे पर रोक लगाने के लिए कहा गया था। उन्होंने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तीन दिन की यात्रा पर आज रात फ्रांस के लिए रवाना हो रही हैं। रक्षा मंत्री की यह यात्रा फ्रांसीसी कंपनी दैसॉ एविएशन से 36 राफेल विमानों की खरीद पर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में हो रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि सीतारमण अपने फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को गहरा बनाने के तौर-तरीकों तथा परस्पर हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

विदित है कि राफेल मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रही हैं। इस मामले पर राहुल गांधी पीएम चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं।

कांग्रेस ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ने फ्रांस की सरकार से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का जो सौदा किया है उसका मूल्य यूपीए कार्यकाल में किए गए सौदे की तुलना में अधिक है। जिसकी वजह से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पार्टी का दावा है कि पीएम मोदी ने इस सौदे को बदलवाया और ठेका एसएएल से लेकर रिलायंस डिफेंस को दे दिया।

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