सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की तस्करी को रोकने और देशभर में अनाथलायों के प्रबंधन को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से अपने यहां मौजूद अनाथलायों के प्रबंधन को लेकर दो हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

अनाथालयों में बच्चों को क्या सुविधाएं दी जा रही हैं और किसी को गोद देने की क्या प्रक्रिया है इस बारे में भी सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से यह भी पूछा है कि मानवाधिकार कानून के तहत हर जिले में मानवाधिकार अदालतों का गठन क्यों नहीं किया गया?

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा  कि किसी भी देश  का भविष्य उस देश के बच्चों के चरित्र और उनके भविष्य पर निभर्र करता है और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को बेचा जाए, इससे शर्मनाक कुछ और नही हो सकता और इस पूरे मामले को ठीक से देखने की जरूरत है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट  NCPCR (नेशनल कॉमिशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) की  कोलकता हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के एक अनाथलाय से 17 बच्चों की तस्करी को लेकर NCPCR और पश्चिमी बंगाल सरकार आमने सामने है। NCPCR ने  स्थानीय प्रशासन पर तस्करी रैकेट को शह देने का आरोप लगाया है वहीं राज्य सरकार ने इस मामले में NCPCR के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया है। कोलकाता हाईकोर्ट ने अधिकार क्षेत्र को लेकर NCPCR के खिलाफ फैसला दिया था। इसके खिलाफ दायर NCPCR  की अर्जी पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया। कोर्ट ने कहा कि वो देश भर में सभी अनाथलायों के मैनेजमेंट को लेकर सुनवाई करेगा। इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

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