Ram Rahim : बलात्कार और हत्या के दोषी राम रहीम एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। बाबा गुरमीत रामरहीम को एक बार फिर जेल से छुट्टी प्राप्त हो गई, जिसके बाद रामरहीम ने सीधा अपने आश्रम जाकर प्रवचन देना भी शुरू कर दिया है। बता दें, रामरहीम इसी वर्ष जुलाई के महीने में ही 30 दिन की परोल पर जेल से बाहर आया था। अब एक बार फिर वह 21 दिन की फरलो पर जेल से बाहर आ गया है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठना तो जायज है कि आखिर एक दोषी (कैदी) को जेल से कितने दिन बाहर रहने की अनुमति मिलती है।
Ram Rahim : आम कैदियों को सालभर में 90 दिन की मिलती है रिहाई
बता दें, एक वर्ष के दौरान, परोल और फरलो मिलाकर एक कैदी को ज्यादा से ज्यादा 90 दिनों की रिहाई दी जा सकती है। वहीं अगर बात करें रामराहीम की तो, साल 2023 में 70 दिनों तक वह जेल से बाहर रहा। जिसमें वह 40 दिन जनवरी और 30 दिन जुलाई में परोल पर बाहर आया था। यानि, कानून के अनुसार एक कैदी को जो अधिकतम राहत मिल सकती थी, वो राम रहीम को साल 2022 में भी मिली और इस वर्ष भी मिल चुकी है। रामरहीम की फरोल पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि सरकार द्वारा ये राहत सभी कैदियों को समान रूप से नहीं दी जाती है। मीडिया रेपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2021 हरियाणा की जेलों में करीब 25 हजार कैदियों में से सिर्फ 2915 कैदियों की परोल एप्लिकेशन को हरियाणा सरकार ने मंजूरी दी थी।
बता दें, राम रहीम साल 2017 से जेल में सजा काट रहे हैं। राम रहीम को अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या का दोषी पाया गया था, और उसे 20 साल की सजा सुनाई गई थी। मीडिया रेपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2017 से जेल की सजा काट रहा राम रहीम अब तक कुल 184 दिन परोल और फरलो पर जेल से बाहर रहा है।
परोल और फरलो में अंतर
परोल : कानूनी जानकारों के मुताबिक, परोल किसी भी सजा पा चुके कैदी या किसी आरोपी को मिल सकता है। हालांकि, इसकी कुछ शर्तें भी होती हैं। एक कैदी को सजा के समय के दौरान उसके अच्छे व्यवहार को मद्देनजर रखते हुए पैरोल दी जा सकती है।
कैदी की मानसिक स्थिति बिगड़ने पर, कैदी के परिवार में किसी की मृत्यु, या कैदी के परिवार में कोई खास कार्यक्रम (जैसे शादी) होने पर पैरोल दी जा सकती है। इसके अलावा, कुछ अन्य जरूरी कार्यों को निपटाने के लिए भी कैदी पैरोल की अर्जी डाल सकता है, जिसपर उसे कुछ समय के लिए जेल से छोड़ा जा सकता है। बता दें, जेल अधिकारी भी जरूरत पड़ने पर कैदी को 7 दिन पैरोल दे सकता है। हालांकि, पैरोल के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम मौजूद हैं।
बता दें, कारागार अधिनियम 1894 के तहत पैरोल दी जाती है। हालांकि, किसी कैदी को परोल देने से इनकार भी किया जा सकता है। परोल की राहत आमतौर पर मौत की सजा पाने वाले कैदी, आतंकवादी(दोषी) या फिर जेल से (परोल मिलने पर) भागने की संभावना वाले कैदियों को नहीं दी जाती है।
फरलो : कानूनी जानकारों के मुताबिक फरलो का मतलब कैदियों को जेल से मिलने वाली एक छूट होती है। यह राहत कैदी को अपनी पारिवारिक और अन्य जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है। फरलो की अर्जी देने के लिए कैदी को जेल से बाहर जाने का कारण बताना जरूरी नहीं होता है। कैदियों पर जेलर द्वारा बनाई गई रिपोर्ट के बेस पर सरकार द्वारा इसे मंजूर किया जाता है। हर साल कैदी को तीन बार फरलो मिल सकता है। हालांकि, फरलो को लेकर भी राज्यों में अलग-अलग कानून हैं।
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