मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि पुणे में होने जा रहे ‘सनबर्न म्यूज़िक फेस्टिवल’ में कम उम्र के बच्चों को शराब से दूर रखने के लिए वह क्या कदम उठा रही है। कोर्ट ने इस बारे में सरकार से एक हलफनामा देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

न्यायाधीश शांतनु खेमकर और राजेश खेतकर ने सरकार को यह भी निर्देश दिया वह इस उत्सव के आयोजकों से पिछले साल के बकाए और इस साल के भी मनोरंजन कर आदि शुल्कों की वसूली कर लें।

पीठ पुणे के एक नागरिक रतन लठ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मांग की गई है कि इस कार्यक्रम के आयोजकों को शराब परोसने का लाइसेंस ना दिया जाए। याचिकाकर्ता  के अनुसार, ‘सनबर्न म्यूज़िक फेस्टिवल’ 28 दिसंबर को शुरू होगा और 1 जनवरी 2018 तक चलेगा। इस कार्यक्रम में करीब 3 लाख लोगों के आने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि इस फेस्टिवल में नाबालिग बच्चे, स्कूली छात्र बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगें इसलिए कार्यक्रम के आयोजकों को शराब परोसने की इजाज़त ना दी जाए।

‘सनबर्न म्यूज़िक फेस्टिवल’ के आयोजकों की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि वह इस कार्यक्रम के लिए बड़ी मात्रा में टिकट बेच चुके हैं और प्रस्तुति के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को भी बुलाया गया है। आयोजकों की तरफ से कोर्ट को आशवासन दिया गया कि वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी कानून का उल्लंघन ना हो।

राज्य सरकार की तरफ से वकील अभिनंदन वागयानी ने अदालत से कहा कि आयोजकों ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कार्यक्रम में प्रवेश करने वालों को कलर कोड देकर उम्र के हिसाब से अलग-अलग करेंगे। 20 साल से कम उम्र के लोगों को हरे रंग का बैंड दिया जाएगा, 21 से अधिक लेकिन 25 से कम उम्र वालों को पीले बैंड और 25 की उम्र से ऊपर वाले मेहमानों की पहचान करने के लिए लाल बैंड होगा। इसके अलावा शराब परोसने का इंतज़ाम स्टेज से दूरी पर होगा ताकि पुलिस अधिाकरी वहां नज़र बनाए रख सकें। कोर्ट ने कहा कि आप जो बातें बता रहें हैं उन्हें हलफनामे के रुप में 20 दिसंबर को कोर्ट में दिया जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि आयोजन के दौरान शहर के दूसरे इलाकों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस कर्मचारी मौजूद रहें।

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