जेलों में बंद कैदियों की दयनीय दशा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों के साथ फरवरी 2018 के पहले हफ्ते में बैठक करे और ओपन प्रिज़न यानी खुली जेल बनाने को लेकर चर्चा करें।

खुली जेल किस तरह से काम करेगी इसका प्रारूप कैसा होगा, इसमें कैसे कैदियों को रखा जाएगा इन तमाम पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय से अध्ययन करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कैदी पहली बार किसी अपराध में जेल गया है या फिर ऐसे कैदी जो मामूली अपराधों में जेल गए हैं इनमें से कैसे कैदियों को ओपन जेल में रखना सही होगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमें आपस में मिलकर आगे बढ़ना होगा और सभी की एक राय बने और किसी को कोई आपत्ति न हो। जेल नियमों को लेकर सभी राज्य सरकारों के पास अपनी-अपनी गाइड लाइन है इसलिए किसी तरह की उहापोह की स्थिति पैदा ना हो।

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि मॉडर्न प्रिजन मैनुवल का ड्राफ्ट सभी राज्य सरकारों को भेज दिया गया है जिस पर वह अपनी राय रखेंगी। केंद्र ने कहा कि इससे कैदियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की मामलों को रोकने में मदद मिलेगी। इस मामले पर अब अगली सुनवाई फरवरी में होंगी।

हमारी जेलों में हैं क्षमता से ज़यादा कैदी

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश सरकार की आलोचना की थी कि वह ऐसे विचाराधीन बंदियो को भी जेल से रिहाई नहीं दे रही हैं जिन्हें छोड़ा जा सकता है। जेलों में क्षमता से ज़यादा कैदी मैजूद हैं इसके बावजूद छूटने योग्य कैदियों को रिहा नहीं किया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर राज्य सरकारों को नोटिस भी जारी किया था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि देश की कई जेलों में क्षमता से करीब चौदह फीसदी ज्यादा कैदी हैं। छत्तीसगढ़ और दिल्ली में तो हालात यह हैं कि यहां की जेलों में दोगुने से भी ज्यादा कैदी हैं। आंकड़ों के मुताबिक जेलों में बंद कुल कैदियों में से 67 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं।

क्या होती है ओपन प्रिज़न

ओपन प्रिज़न खुले में बनी जेल है जिसमें एक छोटा घर दिया जाता है और जिसमें कैदी को अपने परिवार के साथ रहने की अनुमति दी जाती है। कैदी एक निर्धारित दायरे में काम के लिए जाता और फिर काम खत्म होने के बाद वापस लौट आता है। भारत में सबसे ज्यादा ओपन जेल राजस्थान में हैं और यह यहां 1955 से सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं।

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