निर्भया गैंगरेप मामला में दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार (12 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट ने मामले के अन्य दोषियों विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय को 10 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुकेश के बचाव में वकील की तरफ से कई दलीलें दी गईं। मुकेश की ओर से पेश वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि उसे टार्चर किया गया और  फिर उसका बयान लिया गया। मुकेश के वकील की तरफ से मामले की जांच पर भी कहा गया कि जांच सही ढंग से नहीं की गई, मुकेश घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं था। तमाम दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुकेश के डीएनए की जांच, पीड़िता के आखिरी समय पर दिए गए बयान और जो बरामदगी हुई उसी के आधार पर उसे दोषी करार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अगर आपके अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 313 के तहत दर्ज़ बयान को नहीं माना जाए क्योंकि आपके मुताबिक आपने टॉर्चर के बाद बयान दिया और आप दबाव में थे तो ऐसे में फिर देश में कोई भी ट्रायल नही चल पाएगा।  चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशानों को अनदेखा कैसे कर सकते है? सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट इस मामले की सुनवाई हिमालय की तरह धैर्यता से करता आया है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने मामले में दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर की बात कोर्ट को बताई जा रही है वह बिल्कुल गलत है और ऐसा हुआ होता तो यह इस बात का ज़िक्र तिहाड़ जेल प्रशासन या निचली अदालत में कर सकते थे लेकिन इन्हेंने वहां कहीं इस बात को नहीं कहा है। हालांकि मुकेश की तरफ से कहा गया कि उसने टॉर्चर को लेकर ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था लेकिन उस पर किसी ने विचार नही किया।

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर 2013 में फांसी की सजा सुनाई थी, इस पर 14 मार्च  2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषी सुप्रीम कोर्ट गये और 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी चारों दोषियों को निचली अदालत से मिली फांसी की सज़ा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ 13 नवबंर को पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।

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