कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी, सुप्रीम कोर्ट के दोनों जज एकमत नहीं

कर्नाटक सरकार ने इस मामले में दलील दी कि हिजाब पहनने या ना पहनने से कोई महिला कम इस्लामी नहीं हो जाती है। सुनवाई के दौरान फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा गया था कि वहां पर हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन उस प्रतिबंध से वहां की महिलाएं कम इस्लामी नहीं हो जाती हैं।

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Karnataka Hijab Row: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा या नहीं? कुछ ही देर में SC सुनाएगा फैसला
Karnataka Hijab Row: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा या नहीं? कुछ ही देर में SC सुनाएगा फैसला

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब पहनने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णायक फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें HC ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। बेंच ने 10 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 22 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोनों जजो ने अलग-अलग फैसला लिखा है। हालांकि, फैसला सुनने के बाद ही पता चलेगा कि दोनों का फैसला अलग-अलग है या एकमत है।

Karnataka Hijab Row: हाईकोर्ट का फैसला रहेगा लागू

सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन के मामले का कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट का फैसला अभी भी लागू रहेगा, क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। अब हाई कोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है।

Karnataka Hijab Row: बड़ी बेंच को सौंपा गया मामला

कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। जानकारी के अनुसार, बेंच में शामिल दोनों जजों की राय अलग- अलग है। जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही ठहराया है। वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया। ऐसे में अब इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा गया है।

Karnataka Hijab Row: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा या नहीं? कुछ ही देर में SC सुनाएगा फैसला
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Karnataka Hijab Row: हिजाब के समर्थन में आए वकीलों का क्या कहना?

मामले की 10 दिन चली सुनवाई के दौरान हिजाब समर्थकों की दलील मुख्य रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद पर केंद्रित रही। वहीं, राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेज में अनुशासन के बिंदु पर जोर दिया। हिजाब का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुजैफा अहमदी, देवदत्त कामत और संजय हेगडे ने बहस की. उन्होंने कहा कि अगर हिजाब को एक धार्मिक फ़र्ज़ की तरह मानते हुए लड़कियां यूनिफॉर्म के रंग का स्कार्फ अपने सर पर रखती हैं, तो इससे किसी भी दूसरे छात्र का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है। इसलिए, रोक लगाने का आदेश गलत है।

Karnataka Hijab Row: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा या नहीं? कुछ ही देर में SC सुनाएगा फैसला
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Karnataka Hijab Row: कर्नाटक सरकार ने SC में दिए ये तर्क

कर्नाटक सरकार ने इस मामले में दलील दी कि हिजाब पहनने या ना पहनने से कोई महिला कम इस्लामी नहीं हो जाती है। सुनवाई के दौरान फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा गया था कि वहां पर हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन उस प्रतिबंध से वहां की महिलाएं कम इस्लामी नहीं हो जाती हैं। इसी तरह ईरान में महिलाएं इस समय हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं, वे हिजाब नहीं पहनना चाहती हैं। इसी वजह से स्कूलों में यूनिफॉर्म की संस्कृति चलती है, ये समानता और एकरूपता के लिए बनाई गई है।

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक सरकार का क्या कहना

कर्नाटक सरकार की ओर से पेश किए गए वकीलों ने तर्क दिया कि कर्नाटक सरकार का वह आदेश, जिसे लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा वह धर्म तटस्थ है। पूरी सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने PFI की भूमिका को लेकर भी कई सवाल दागे थे। आरोप लगाया गया था कि इस पूरे मामले में छात्राओं को भड़काने का काम PFI ने किया। उसी की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए छात्राओं से हिजाब पहनने की अपील की गई थी। स्कूलों में हिजाब पहनकर जाने की बात कही गई थी। इससे पहले तक कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं था।

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