प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की विपक्ष की कोशिशों के बीच उन पर उनके साथी जज ने एक बार फिर निशाना साधा है। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश के बाद वरिष्ठतम जज जस्टिस जे चेलमेश्वर ने पांच पन्नों की चिट्ठी लिख कर मांग की है कि चीफ जस्टिस न्यायपालिका के काम में कार्यपालिका के दबाव पर फुल कोर्ट मीटिंग बुलाएं।

जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिख कर कर्नाटक के जिला व सत्र जज पी कृष्णा भट्ट के खिलाफ दोबारा जांच शुरू करने पर नाराजगी जताई है। जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने पत्र में कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने केंद्र के दबाव में आकर दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने मांग की कि न्यायपालिका के काम में कार्यपालिका के दबाव पर फुल कोर्ट मीटिंग बुलाएं क्योंकि न्यायपालिका के कॉलेजियम सिस्टम को नजरअंदाज कर कार्यपालिका का सीधे हाईकोर्ट के जज से किसी भी तरह का संवाद करना बिल्कुल उचित नहीं है। जस्टिस चेलमेश्वर ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस का अपनी मर्जी से दोबारा जांच शुरू करने का कोई तुक नहीं बनता है।

जस्टिस चेलमेश्वर ने यह चिट्‌ठी पिछले हफ्ते लिखी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को भी इसकी कॉपी भेजी है। उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अगस्त और नवंबर 2016 में दो बार भट्‌ट को कर्नाटक हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश कर चुका है। जब-जब सिफारिश सरकार तक पहुंचती है, भट्ट के साथ काम कर चुकी एक महिला न्यायिक अधिकारी के आरोपों की फेहरिस्त उनके खिलाफ खड़ी मिलती है। पिछली बार तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की ओर से करवाई गई जांच में भट्‌ट को क्लीनचिट मिली थी।

जस्टिस चेलमेश्वर जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले और बाद में भी कई बार मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर उनकी कार्यशैली पर कानूनी और संवैधानिक सवाल उठा चुके हैं। जस्टिस चेलमेश्वर की इस चिट्ठी से फिर साफ हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और जनवरी में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस से जो दरार दिखी वो लगातार चौड़ी ही हो रही है।

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