एक तरफ पीएम मोदी अपने सांसदों और मंत्रियों समेत सभी देशवासियों को काम के प्रति जिम्मेदार बने रहने के लिए कहते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं। प्रशासनीय क्षेत्रों समेत सरकारी विभागों में तो ये आम बात हो गई है लेकिन अब कुछ ऐसा ही हाल न्यायिक क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल समेत कई न्यायाधीशों ने निचली अदालतों में औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में निचली अदालतों के जजों समेत कई अधिकारी दफ्तर से नदारद रहे। वहीं पता चला कि ज्यादातर लोग अपने समय से कभी 1 घंटा तो कभी दो घंटा देर से आते हैं। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट लापरवाह लोगों के खिलाफ जल्द ही एक्शन लेगा।

दिल्ली हाईकोर्ट को काफी समय से यह जानकारी मिल रही थी कि दिल्ली के निचली अदालतों में जज समेत कई अधिकारी समय पर कोर्ट नहीं पहुंचते। ऐसे में जस्टिस गीता मित्तल समेत कई न्यायधीशों ने औचक निरीक्षण करने का सोचा। दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने पटियाला हाउस कोर्ट, जस्टिस रविन्द्र भट्ट ने तीस हजारी कोर्ट, जस्टिस संजीव खन्ना ने रोहणी कोर्ट, जस्टिस जी एस सस्तानी ने कड़कड़डूमा कोर्ट, जस्टिस मुरलीधर ने साकेत कोर्ट, जस्टिस विपिन सांघी ने द्वारका कोर्ट का औचक निरीक्षण किया। ऐसे में मिली जानकारी सही पाई गई और कई लोग दफ्तर से नदारद रहे।

देश में न्यायिक व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है। पूर्व न्यायाधीश टी एस ठाकुर, जस्टिस जे एस खेहर समेत कई न्यायाधीशों ने अपने भाषण में यह दुख जताया है कि देश के अदालतों में करोड़ो केस पेंडिंग पड़े हैं और लोगों को न्याय पाने में कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई न्यायविदों ने यह सुझाव दिया है कि निचली अदालत अगर सही से न्याय करें तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को इतना ढेर सारा दबाव झेलना नहीं पड़ेगा। ऐसे में निचली अदालतों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन इस तरह की घटना वो भी देश की राजधानी दिल्ली में, काफी निराश करती है।

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