दिल्ली हाईकोर्ट जजों को कमी से जूझ रहा है। फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की संख्या लगभग आधी है जिसके चलते कोर्ट में तकरीबन 71 हजार केस लंबित पड़े हैं। यूं तो दिल्ली हाईकोर्ट अपनी स्थापना के 50 साल 2016 में ही पूरे कर चुका है। किसी भी संस्था के लिए इतने साल उसको मजबूत करने के लिए काफी होते हैं। लेकिन इतने साल बीतने के बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट को उतने जज नहीं मिल सके हैं जितनी सरकार की ओर से दिए गए हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट को न्यायिक प्रक्रिया सुचारु रूप से चलाने के लिए 60 जजों की मंजूरी मिली हुई है, लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट करीब-करीब आधे यानि सिर्फ 33 जजों की संख्या से ही काम चला रहा है और उसका नतीजा है कि दिनों दिन लंबित मामले बढ़ते जा रहे है। हाईकोर्ट में फिलहाल 71 हजार मामले अपनी सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।

जजों की संख्या आधी है लिहाजा सीधे तौर पर आने वाले फैसलों पर इसका असर दिखता है। अक्सर मामलों में सुनवाई जजों को जल्दी-जल्दी पूरी करनी पड़ती है और कई बार सुनवाई की तारीख एक साल बाद मिल पाती है जिसके चलते ना सिर्फ वकील दबाव में रहते हैं बल्कि इसका बुरा असर जजों के कामकाज पर भी पड़ता है। पिछले एक साल से दिल्ली हाईकोर्ट को अपने चीफ जस्टिस का इंतजार है।

फिलहाल गीता मित्तल एक्टिंग चीफ जस्टिस की भूमिका निभा रही हैं। अगस्त होते-होते हाईकोर्ट से अभी दो और जज रिटायर हो जाएंगे। एक जज के पास औसतन 2 हजार केस पेंडिंग हैं। हर रोज एक जज को 100 से डेढ़ सौ मामलों की सुनवाई करनी होती है।

—ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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