सन 2005 में पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने 11 पूर्व सांसदों के खिलाफ आरोप तय कर दिये हैं। कोर्ट ने घूस लेने और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप तय करते हुए सभी के खिलाफ मामला चलाने का निर्देश दिया है। विशेष जज किरन बंसल की अदालत ने इन 11 पूर्व सांसदों और एक अन्य व्यक्ति रवींद्र कुमार पर यह आरोप तय किए हैं और इन पर 12 जनवरी से मामला चलाया जाएगा। इस मामले के एक अन्य आरोपी विजय फोगाट की मौत हो जाने के कारण उसका नाम पहले ही हटा दिया गया था।

यहां आपको बता दें कि इनमें से 6 बीजेपी के पूर्व सांसद हैं, जबकि कांग्रेस का एक, बीएसपी के तीन और आरजेडी का एक पूर्व सांसद शामिल है। इस मामले में पूर्व सांसदों छतरपाल सिंह लोढ़ा (बीजेपी), अन्ना साहब एम के पाटिल (बीजेपी), मनोज कुमार (आरजेडी), चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी), रामसेवक सिंह गुर्जर (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी), प्रदीप गांधी (बीजेपी), सुरेश चंदेल (बीजेपी), लाल चंद्र कोल (बीएसपी), वाई जी महाजन (बीजेपी) और राजा रामपाल (बीएसपी) को आरोपी बनाया गया है।

अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले में कहा गया है कि सांसदों ने अपने ऑफिस का गलत इस्तेमाल किया और वह स्टिंग ऑपरेशन के दौरान संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे की मांग करते हुए टेलीविज़न पर नजर आए। सांसदों के खिलाफ यह स्टिंग ऑपरेशन 2 पत्रकारों ने किया था और बाद में 2 दिसंबर 2005 को यह एक न्यूज चैनल पर प्रसारित हुआ था। प्रॉसिक्यूशन उन सीडी और डीवीडी के आधार पर केस लड़ रहा है, जिनमें आरोपियों और दूसरे लोगों की पूरी बातचीत रिकॉर्ड है। टेलीविज़न चैनल पर स्टिंग आपरेशन के प्रसारण के बाद राजनीतिक तौर पर काफी हंगामा हुआ था। राजनीतिक दलों ने स्टिंग आपरेशन में कैद हुए अपने सांसदों पर कार्रवाई भी की थी और इन सभी सांसदों को संसद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया था।

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