देश को पहले लोकपाल के लिए और लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई एक निश्चित समय सीमा नहीं दी है। सरकार ने नए हलफनामे में लोकपाल अधिनियम के नियमों और प्रावधानों का हवाला दिया लेकिन भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की नियुक्ति के लिए कोई समयसीमा का सुझाव नहीं दिया है।

लोकपाल की नियुक्ति अभी संभवत: दूर की कौड़ी है। केंद्र की मोदी सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, उससे यही संकेत मिल रहे हैं। हलफनामे में केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर कोई समयसीमा नहीं तय की है। केंद्र सरकार ने कहा है कि पहले सर्च कमेटी में इस बारे में बात की जाएगी, उसके बाद आगे कदम उठाए जाएंगे। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री की हाई पॉवर सर्च कमेटी की मीटिंग 19 जुलाई को होगी।

हलफनामे में कहा गया है कि सेलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभाध्यक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी ओर से नामांकित और प्रतिष्ठित न्यायवादी शामिल हैं। इन सबको को सर्च कमेटी के लिए कम से कम सात लोगों को नामंकित करना होगा। इसके बाद सर्च कमेटी सेलेक्शन की प्रक्रिया निर्धारित करेगी, जिसके बाद चयन समिति उम्मीदवारों के नामों का चुनाव करेगी। हलफनामे के मुताबिक सर्च कमेटी फिलहाल है ही नहीं,  ऐसे में लोकपाल की नियुक्ति के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं दी जा सकती है। बेंच ने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 24 जुलाई तय करते हुए कहा कि चूंकि सेलेक्शन कमिटी की बैठक 19 जुलाई को होनी है इसलिए वो कोई आदेश पारित नहीं करेगी लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोमवार 23 जुलाई को रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए।

इससे पहले 2 जुलाई को लोकपाल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र को 10 दिनों के अंदर नियुक्ति की समयसीमा तय करने का निर्देश दिया था…संसद में कानून बनने के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बावजूद लोकपाल की नियुक्ति टलती रही है।

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