बॉम्बे हाईकोर्ट ने शनिवार (3 फरवरी) को महाराष्ट्र सरकार द्वारा व्हिसल ब्लोअर श्रीकांत कर्वे को मुआवज़ा देने के लिए अदालत के आदेश की समीक्षा करने के आवेदन को खारिज कर दिया। महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिनंदन वैग्यानी ने एक आवेदन पत्र दाखिल करते हुए कहा था कि व्हिसल ब्लोअर ने खुद से किसी भी पैसे की मांग नहीं की है इसलिए कर्वे को 1 लाख रुपये मुआवजा देने की जरूरत नहीं है।

जस्टिस अभय ओका ने आवेदन को खारिज करते हुए इस बात पर हैरानी जताई कि राज्य को ऐसे व्यक्ति को मुआवज़ा देना बोझ लग रहा है जिसने एक घोटाले और अन्य समस्याओं का उजागर करने में मदद की,जिससे सरकार का बहुत पैसा बचा।

सरकार की ओर से वकील ने अदालत को बताया कि कर्वे को जो भुगतान किया जाएगा वह सार्वजनिक धन है और पहले भी सरकार उन्हें मुआवज़ा दे चुकी है इसलिए उन्हें फिर से भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार के आवेदन में कहा गया कि शिवसेना के नेता दिवाकर रावत की अध्यक्षता वाले परिवहन मंत्रालय ने फैसला किया था कि कर्वे को सरकारी खजाने से भुगतान करना ठीक नहीं होगा जबकि कार्वे ने खुद भी इसकी मांग नहीं की है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 नवंबर को राज्य सरकार को कर्वे को उनकी आरटीआई फाइलिंग के लिए 1 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। कर्वे ने वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के नियमों की हो रही अनदेखी का खुलासा किया था और कहा था कि कैसे इस वजह से सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। कर्वे मोटर वाहन अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए काम कर रहे हैं।

श्रीकांत कर्वे ने अदालत में मामले को उठाने, समस्या को उजागर करने  और आरटीआई दाखिल करने के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च किए हैं। इसी कारण अदालत ने कर्वे को एक लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था।

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