गुजरात में 2002 में दंगों के दौरान नरोदा पाटिया कांड में निचली अदालत में दोषी साबित होने वाली माया कोडनानी को बड़ी राहत मिली है। गुजरात हाई कोर्ट ने माया कोडनानी को निर्दोष साबित किया है। हालांकि कोर्ट ने इसी मामले में दोषी साबित बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा है।

करीब छह साल बाद गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी राहत की सांस ले सकेंगी। नरोदा पाटिया कांड में पिछले साल अगस्त में फैसला सुरक्षित रखे जाने के करीब सात महीने बाद सुनाए गये फैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने माया कोडनानी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दंगे की जगह पर माया कोडनानी की मौजूदगी साबित नहीं हुई है। साथ ही  दंगे का केस दर्ज किए जाने के दौरान 11 गवाहों में से किसी ने भी माया कोडनानी का नाम नहीं लिया। गवाहों ने कोडनानी की वारदात स्थल पर मौजूदगी को लेकर अलग-अलग बयान दिए थे। हालांकि हाई कोर्ट ने इसी मामले में बाबू बजरंगी की जीवन भर के लिए कैद की सजा को बरकरार रखा है।

माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने भीड़ को कथित तौर पर मुस्लिमों पर हमले के लिए उकसाया था। एसआईटी मामलों के लिये विशेष अदालत ने अगस्त 2012 में राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी को 28 साल की कैद की सजा सुनाई थी। कोडनाऩी के अलावा 31 और लोगों को आजीवन कारावास की अलग अलग अवधि की सजा सुनाई गयी थी। निचली अदालत ने 29 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस दंगे के दौरान हुई हिंसा में 11 लोगों की मौत हुई थी। माया कोडनानी को भले ही नरोदा पाटिया दंगे में सजा से राहत मिल गई है, लेकिन अब भी उन पर नरोदा गाम दंगे के केस में तलवार लटक रही है। यह दंगा भी 28 फरवरी, 2002 को ही हुआ था।

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