देश में छोटी बच्चियों के खिलाफ बढ़ते आपराधिक मामलों के बीच शनिवार (21 अप्रैल) को मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया। प्रधानमंत्री आवास पर करीब ढाई घंटे हुई कैबिनेट की मीटिंग में क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस’ यानी पॉक्सो एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में मौत की सज़ा होगी।  मोदी कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद सरकार अब इस पर अध्यादेश लाएगी।फिलहाल पॉक्सो में अधिकतम ताउम्र कैद और कम से कम सात साल कैद की सजा का प्रावधान है।

कठुआ, उन्नाव और सूरत में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रेप के मामलों को जघन्य बताते हुए भरोसा दिलाया था कि, देश की बच्चियों को न्याय मिलेगा।

क्या हैं प्रावधान

12 साल से कम उम्र के मासूमों के यौन शोषण के दोषियों को न्यूमतम सजा  20 साल  या उम्र कैद या फिर फांसी तक की सजा।

12 साल से कम उम्र की लड़की के गैंगरेप के मामले में दोषियों को उम्रकैद या फांसी की सजा।

16 साल से कम उम्र के लड़की के रेप के मामले में न्यूनतम सज़ा 10 साल से 20 साल तक बढ़ाई गई, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है।

16 साल से कम उम्र की लड़कियों के रेप के दोषियों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।

महिला से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सज़ा 7 साल से 10 साल बढ़ाई गई जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है।

इसके अलावा रेप केस में जांच को 2 महीने में खत्म करना होगा और ट्रायल पूरा करने के लिए भी 2 महीने का समय निर्धारित किया गया है।

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