समाज में Live -In के बढ़ते चलन पर Allahabad HC की टिप्‍पणी, अदालत ने कहा युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहा

Allahabad HC: आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी जय गोविंद उर्फ रामजी यादव की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे युवा कभी-कभी समाज, अपने माता-पिता के खिलाफ और कभी-कभी अपनी पसंद के साथी के खिलाफ भी दुर्व्यवहार करते हैं।

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Allahabad HC: समाज में बढ़ रहे लिव इन के मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्‍पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि विपरीत लिंग के साथ ओपन रिलेशनशिप के लालच में देश का युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहा है।
पश्चिमी संस्कृति के अनुकरण से वास्तविक जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा। कोर्ट ने पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और संचार माध्यमों से हो रहे सामाजिक बदलावों को लेकर गहरी चिंता भी जताई है।हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह टिप्पणी की। पूरा मामला एक लड़की के कथित तौर पर आत्महत्या के मामले से जुड़ा है।

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Allahabad HC: आरोपी की जमानत याचिका मंजूर

Allahabad HC: आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी जय गोविंद उर्फ रामजी यादव की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे युवा कभी-कभी समाज, अपने माता-पिता के खिलाफ और कभी-कभी अपनी पसंद के साथी के खिलाफ भी दुर्व्यवहार करते हैं। उन्हें स्थिति से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है। जिससे वे इस तरह के रिश्ते में फंस जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि भारतीय परंपराओं में ऐसे रिश्तों को स्वीकार नहीं किया जाता।

Allahabad HC: युवा पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण कर अपना नुकसान कर रहा

Allahabad HC: हाईकोर्ट ने साफतौर पर कहा है कि देश का युवा पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण कर अपना नुकसान कर रहा है। अपने विपरीत लिंगी के साथ ओपन रिलेशनशिप को महत्‍व दे रहा है। इस लालच में वह अपना जीवन तबाह कर रहा है। इससे उन्हें कोई सही जीवन साथी नहीं मिल पाता।कोर्ट ने कहा कि इस देश के युवा को सोशल मीडिया, फिल्मों और टीवी धारावाहिक ज्‍यादा प्रभावित कर रहा है। युवा वेब श्रृंखलाओं के प्रभाव में अपने जीवन के सही मार्ग के बारे में निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सही साथी की तलाश में युवा अक्सर गलत साथी की संगत में पहुंच जाते हैं। सोशल मीडिया और फिल्में आदि दिखाती हैं कि जीवन साथी के साथ बेवफाई सामान्य बात है। ऐसे में युवा उसी के साथ प्रयोग करना शुरू कर देते हैं।वे प्रचलित मानदंडों में फिट नहीं बैठ पाते।

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