2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में CBI की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को गुरुवार (21 दिसंबर) को बरी कर दिया। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष CBI अदालत ने तीनों मामले में फैसला सुनाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ए.राजा और डीएमके की राज्यसभा सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। जांच एजेंसियां किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहीं। अदालत ने 5 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2 जी घोटाला 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रुपये का था।

विशेष CBI अदालत के जज ओपी सैनी ने फैसला सुनाते हुए कहा, तमाम दलीलों और चर्चा के बाद मुझे यह कहने में बिल्कुल कोई हिचकिचाहट नहीं है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई भी आरोप साबित करने में बुरी तरह से नाकाम रही है इसलिए सभी अभियुक्तों को निर्दोष होने का हकदार है और सभी को बरी कर दिया जाता है।

क्या हैं तीन मामले ?

विशेष CBI अदालत ने तीनों मामलों में फैसला दिया। जिसमें दो केस CBI  के हैं और एक केस प्रवर्तन निदेशालय (ED) का है।

CBI का पहला केस: ए राजा और कनिमोझी समेत पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आरोपी थे। इनके साथ स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर्स, यूनिटेक के प्रबंध निदेशक, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के तीन सीनियर अधिकारी और कलैगनार टीवी के निदेशक भी आरोपी थे। तीन टेलीकॉम कंपनियां, स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड पर भी इस मामले में केस चला। अदालत ने अक्टूबर 2011 को तीनों के खिलाफ आरोप तय किए थे। CBI ने राजा और अन्य आरोपियों के खिलाफ अप्रैल 2011 को आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 122 लाईसेंस के आवंटन से 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिन्हें 2 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। अदालत ने 154 CBI गवाहों के बयान दर्ज किए जिसमें अनिल अंबानी, उनकी पत्नी टीना अंबानी, नीरा राडिया के नाम शमिल हैं।

CBI का दूसरा केस: एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और अंशुमन रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आई पी खेतान और एस्सार समूह के निदेशक (स्ट्रैटजी एंड प्लानिंग) विकास सरफ आरोपी थे। CBI के आरोप पत्र में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप मोबाइल इंडिया लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड के नाम भी हैं।

तीसरा मामला: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अप्रैल 2014 में 19 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया था। इस आरोप पत्र में ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी और शरद कुमार के नाम मनी लॉन्ड्रिग मामले में शामिल थे। ED के आरोप पत्र में डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल का नाम भी शामिल है। उन पर आरोप था कि उन्होंने सटीपीएल प्रमोटर्स से डीएमके द्वारा चलाए जाने वाले कलैगनार टीवी को 200 करोड रुपये का भुगतान किया। इस मामले में 11 लोगों और 8 कंपनियों को आरोपी बनाया गया। 

क्या है 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला ?

2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस का आवंटन किया गया था जिसमें ए राजा ने आवंटन की प्रक्रिया (नीलामी) के बजाए ‘पहले आओ- पहले पाओ’ की नीति के आधार पर लाइसेंस दिये थे, यह लाइसेन्स 2001-2009 के बीच दिए गए थे। जिसके कारण सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ।

कहा गया कि  2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन अगर नीलामी के आधार पर होते तो सरकारी खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों और प्राप्त हो सकते थे। जबकि अपने लोगों को फायदा देने के लिए ऐसा नहीं किया गया। यह मामला साल 2010 में प्रकाश में तब आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (CAG) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन पर सवाल खड़े किए।

 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले के कुछ प्रमुख घटनाक्रम

मई 200 7-   ए राजा दूसरी बार दूरसंचार मंत्री बने।

सितम्बर-अक्तूबर 2008 –  दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए जबकि एक साल पहले अक्तूबर 2007 में केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए  2 जी स्पेक्ट्रम की निलामी की संभावनाओं को दरकिनार कर दिया था।

नवंबर 2008 – केंद्रीय सतर्कता आयोग की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खामियां उजागर हुई और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई।

अक्तूबर 2009 –  सीबीआई ने टू जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया।

अक्तूबर 2010 –  भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने  2 जी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया। जिसके बाद सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर की छापेमारी की

नवंबर 2010 –  संसद में हंगामा, दूरसंचार मंत्री ए राजा को मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप्प की।

नवम्बर 2010 –  ए. राजा का इस्तीफा हुआ और उस समय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।

दिसंबर 2010 –  दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों की जांच रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री को सौंपने की अधिसूचना जारी की

24-25 दिसंबर 2010 –  टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीबीआई ने ए. राजा से पूछताछ की।

31 जनवरी 2011-  राजा से फिर CBI  ने की पूछताछ की।

2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में जांच के लिए बनाई गई एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

फरवरी 2011 –   2 जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को CBI ने गिरफ्तार किया गिरफ्तार।

और 21 दिसंबर 2017 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष CBI अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

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