यूपी में राज्यसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। 23 मार्च को राज्यसभा के लिए वोटिंग होनी है। इससे पहले सभी राजनैतिक दल अतिरिक्त उम्मीदवार की जीत के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बीजेपी को 9वें उम्मीदवार की जीत के लिए 9 वोटों की दरकार है। ऐसे में पार्टी ने राज्यसभा में नौवें उम्मीदवार को भेजने के लिए खास रणनीति बनाई है। इसी क्रम में बीजेपी ने आज शाम 4 बजे से बीजेपी और सहयोगी दलों के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर बुलाई है। पार्टी की तरफ से सीनियर पदाधिकारियों और सरकार की तरफ से मांत्रियों को विधायकों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। चुनावी प्रबंधन के लिए संगठन के विशेष रणनीतिकारों को जिम्मेदारी दी गई है, तो संपूर्ण चुनाव की निगरानी खुद CM योगी संभाल रहे हैं।

गौरतलब है कि राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। बीजेपी के 8 और समाजवादी पार्टी के 1 उम्मीदवार की जीत तय है। 10वीं सीट के लिए बीएसपी के भीमराव अम्बेडकर और बीजेपी के अनिल अग्रवाल के बीच मुकाबला है। दरअसल, राज्यसभा की एक सीट के लिए 37 वोट चाहिए। वोट के गणित के हिसाब से सपा के जया बच्चन के 37 वोट के बाद उसके पास 10 विधायक बचेंगे। बीएसपी के 19 और कांग्रेस के 7 विधायकों को मिलाकर यह आंकड़ा 36 पहुंचता है जबकि बीजेपी समर्थित अनिल अग्रवाल को जीत के लिए 9 वोट जुटाने होंगे।

वहीं सपा से बीजेपी में शामिल हुए सांसद नरेश अग्रवाल ने ऐलान किया है कि उनके बेटे और सपा विधायक नितिन अग्रवाल बीजेपी को वोट करेंगे। ऐसे में बीजेपी को एक वोट का फायदा, तो बीएसपी खेमे को एक वोट का नुकसान है। इधर समाजवादी पार्टी की नजर बीजेपी से नाराज पूर्व सांसद रमाकांत यादव के विधायक बेटे के वोट पर भी टिकी है। इसके अलावा दोनों खेमों की नजर 3 निर्दलीय, 1 राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी के 1 विधायक पर भी है।

मौजूदा संख्या के आधार पर बीजेपी जीत का स्वाद चख सकती है। दूसरी तरफ उपचुनावों की जीत से उत्साहित विपक्ष है, जिसे सिर्फ अपने विधायकों का वोट सही तरीके से डलवाना है।

ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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