एक वक्त में ABVP से था नाता, आज कांग्रेस बनाने जा रही मुख्यमंत्री, कहानी रेवंत रेड्डी की…

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मंगलवार को ये साफ हो गया कि तेलंगाना का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी को राज्य की जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बारे में मीडिया को बताते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला है कि रेवंत रेड्डी राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जाएगी।

मालूम हो कि आज से 8 साल पहले तेलंगाना उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद हैदराबाद में एक रोड शो में रेवंत रेड्डी ने दहाड़ते हुए कहा था, “अब से मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य केसीआर को सत्ता से बेदखल करना है।” ऐसा करने में उन्हें आठ साल का वक्त लग गया। रविवार को, जैसे ही तेलंगाना चुनाव नतीजों ने दो बार के सीएम के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) को बाहर का रास्ता दिखा दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबकी जुबां पर आ गया।

बता दें कि साल 2015 में केसीआर सरकार ने रेड्डी को गिरफ्तार करवाया था। उस समय ‘नोट फोर वोट’ मामले में यह कार्रवाई की गई थी। रेवंत रेड्डी का जन्म 8 नवंबर 1968 को तेलंगाना के किसान परिवार में हुआ था। साल 1992 में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। रेवंत रेड्डी अपने छात्र दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। रेवंत ने अपना राजनीतिक करियर 2001-02 में तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ शुरू किया था। बाद में वे अलग हो गए। 2007 में उन्होंने बतौर निर्दलीय कांग्रेस उम्मीदवार को स्थानीय चुनाव में हराया था।

2008 में रेवंत तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए थे और अगले साल पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ विधानसभा पहुंचे थे। 2014 में वे फिर जीते। इस बार चंद्रबाबू ने उन्हें विधानसभा में टीडीपी विधायक दल का नेता बनाया और पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किया। रेवंत लगातार केसीआर पर हमलावर रहने के लिए जाने जाते हैं।

साल 2017 में रेवंत ने टीडीपी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। केसीआर रेवंत से इतनी खार खाते हैं कि उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को खास निर्देश दिए थे कि रेवंत चुनाव ने जीतने पाएं। 2018 में रेवंत जो सीट हारे उसे इस बार उन्होंने जीतने का काम किया। 2019 में रेड्डी कांग्रेस सांसद के रूप में चुनाव जीते।

दिलचस्प बात ये है कि रेड्डी के टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से भी अच्छे संबंध हैं। तेलंगाना चुनाव के दौरान कुछ कांग्रेस नेताओं ने यहां तक आरोप लगाए कि बतौर प्रदेश अध्यक्ष रेवंत ने टिकट बेचे। हालांकि कांग्रेस आलाकमान शुरू से ही रेवंत के साथ था और उन्होंने इस तरह की बातों को दरकिनार किया। ये कांग्रेस आलाकमान ही था जिसने 2 साल पहले राज्य कांग्रेस की कमान रेवंत को सौंपी थी। रेवंत रेड्डी को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपने नेतृत्व में एकजुट करने का काम किया और पार्टी को यह राज्य जीतकर दिखाया। रेवंत ने अपने चुनावी अभियान में 85 जनसभाएं की थीं।

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