वाघ बकरी चाय समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई का रविवार को निधन हो गया। उनके निधन से एक हफ्ते पहले वे अहमदाबाद में अपने घर के बाहर घायल हो गए थे। वे घायल तब हुए जब आवारा कुत्तों ने उन पर हमला बोल दिया था और वे उन्हें भगा रहे थे। कुत्तों को भगाने के दौरान देसाई गिर गए थे और उनके सिर पर चोट आई थी। बाद में डॉक्टरों ने बताया कि देसाई की मौत गिरने से हुई थी। जब वे गिरे तो उनको ब्रेन हेमरेज हो गया था।
ऐसा नहीं है कि आवारा कुत्तों की वजह से पहली बार किसी की जान गई है। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए जहां पालतू कुत्तों ने भी हमला बोल दिया। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 1 करोड़ पालतू तो वहीं 3.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
कुत्ते क्यों करते हैं हमला…
कुत्तों के हमला करने के पीछे एक वजह यह भी मानी जाती है कि इंसानी आबादी तेजी से बढ़ रही है। किसी भी क्षेत्र में लोगों की आबादी बढ़ने से वहां रह रहे आवारा जानवर खुद को असुरक्षित पाते हैं और हमला बोल देते हैं। इसके अलावा जानवरों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने जैसी चीज भी भारत में इतनी प्रचलित नहीं है। जानवरों को लेकर जागरूकता की कमी से इस तरह के हमले होते हैं। इसके अलावा आवारा जानवरों के खाने पीने का भी कोई सही इंतजाम नहीं रहता है।
साल 2019 के एक आंकड़े की बात की जाए तो उस साल तकरीबन 4,146 लोगों की मौत कुत्ते के काटने के चलते हुई थी। उसी साल देशभर में कुत्ते के काटने के 1.5 करोड़ मामले रिपोर्ट किए गए थे। आवारा पशु खासकर कुत्ते घायल हो सकते हैं, बीमार हो सकते हैं, भूखे हो सकते हैं । कई बार तो कुत्ते अपने बच्चों को बचाने के चलते हमला बोल देते हैं। ऐसे में कुत्ते काट लेते हैं और लोगों को रेबीज हो जाता है।
कौन है जिम्मेदार…
सरकारी लापरवाही के चलते पशुओं की इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता। आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को रोकने में सरकार कामयाब नहीं रही है। समाज भी इस ओर लापरवाह रहता है। जो लोग जानवरों की मदद करना चाहते हैं उनको भी बढ़ावा नहीं मिलता है। इस चलते पशुओं का टीकाकरण नहीं होता और सड़कों पर आवारा होकर वे मुसीबत बन जाते हैं।
क्या कहता है कानून…
कानून के मुताबिक सड़कों से कुत्ते को हटाना गैरकानूनी है और कुत्तों को भगाया नहीं जा सकता। इसलिए, एक बार जब कोई कुत्ता सड़कों पर होता है, तो उसे गोद लिए जाने तक वहां रहने का अधिकारी होता है।
2001 से भारत में कुत्तों की हत्या पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2008 में मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले को निलंबित कर दिया, जिसमें नगरपालिका को कुत्तों को मारने की अनुमति दी गई थी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए(जी) में कहा गया है, “वन्यजीवों की रक्षा करना और सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है।”
आवारा कुत्तों को खाना खिलाना किसी भी समाज के भीतर और बाहर दोनों जगह कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें निवासियों को अपने आवासीय क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति दी गई थी।
हालाँकि, कुत्तों को रिहायशी इलाकों से नहीं हटाया जा सकता है। नियमों के मुताबिक, संबंधित लोग एमसीडी जैसे नगर निगम अधिकारियों या किसी एनजीओ से संपर्क कर सकते हैं, जो कुत्तों को नसबंदी के लिए ले जा सकते हैं। लेकिन कुत्ते को वहीं से वापस छोड़ दिया जाएगा जहां से उसे उठाया गया है।