राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर जहां एक तरफ सूबे में राजनीति तेज होने लगी है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इस विवाद को समझौते से सुलझाने के लिए जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं।

लखनऊ में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसको शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और राम मंदिर के पक्षकार अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने संबोधित किया। 

वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में अब बाबरी मस्जिद बनाने का कोई मतलब नहीं हैं। हम आपसी सहमति से एक हल निकालना चाहते हैं। जिसके लिए हम अयोध्या में मंदिर बनाने को पूरी तरह से तैयार हैं। अयोध्या मंदिरों का शहर है। शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या मंदिर बनाने के लिए मदद भी करेगा। अयोध्या में अब मस्जिद बनाने का कोई मतलब नहीँ, मस्जिद-ए-अमन का निर्माण लखनऊ में हो।

मसौदे के अनुसार अयोध्या मे राम मंदिर बने। रिजवी ने कहा कि 1945 तक बाबरी मस्जिद के मुतवल्ली शिया ही रहे। 1944 के रजिस्ट्रेशन को कोर्ट एक मामले में खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट इस मसौदे पर फैसला करेगा। वसीम रिजवी ने कहा कि हम कत्ल-ए-आम नही चाहते हैं। हमने कभी भी कोर्ट में कोई वकील नहीं खड़ा किया तो शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से किसने वकील खड़ा किया, इसकी जांच की जाएगी।

महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि शिया वक़्फ़ बोर्ड के प्रस्ताव का स्वागतहै। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर कोर्ट निर्णय करेगा। महंत ने कहा कि आने वाला इतिहास मंदिर मस्जिद पर लड़ने वालों को माफ नही करेगा। आपसी सौहार्द पैदा हो ताकि आने वाली पीढ़ी याद करे।

आपको बता दें कि अयोध्या के रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद का मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिसकी सुनवाई 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी।

रिजवी और महंत जी ने मीडिया के सामने जारी किया मसौदा ।

मसौदा 5 बिंदुओं पर है-

  1. उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड विवादित वक्फ बाबरी मस्जिद से संबंधित संपूर्ण भूमि पर राष्ट्र हित में विवाद को समाप्त करने के लिए अपना पूर्ण अधिकार संपूर्ण जमीन पर से अधिकार छोड़ने को तैयार है।
  2. हिंदू समाज भव्य राम मंदिर का निर्माण करें, बोर्ड को भविष्य में काई आपत्ति नहीं होगी।
  3. वहीं अयोध्या की सीमा से बाहर से लखनऊ के हुसैनाबाद मोहल्ला स्थित घंटाघर के सामने खाली पड़ी नजूल की जमीन में से 1 एकड़ जमीन यूपी सरकार शिया मुसलमानों को आवंटित कर दे। इसके लिए बोर्ड ने यूपी सरकार से लिखित रूप से आवेदन भी कर दिया है।
  4. सरकार से जमीन आवंटित होती है तो इस जमीन पर शिया बोर्ड नई मस्जिद के निर्माण के लिए कमेठी गठित करेगा। मस्जिद का निर्माण बोर्ड अपने स्तर से धन का स्रोत मुहैया कर करेगी।
  5. लखनऊ में बनने वाली मस्जिद का नाम किसी मुगल बादशाह या मीर बाकी के नाम नहीं होगा। बोर्ड इस मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-अमन रखेगा। ताकि पूरे देश में इस मस्जिद से आपसी भाई चारे व शांति का संदेश फैले।

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