भारतवर्ष का इतिहास काफी पुराना है। इस इतिहास में न जाने कितने राज छिपे हैं जिसे खोजने के लिए आज भी खोजकर्ता लगे हुए हैं। दुनिया में सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने आधुनिक बीमारियों और कई अनसुलझे प्रश्नों को जानने के लिए वेद का सहारा लेने का सोचा है। जी हां, प्राचीन हिंदू मंत्रों के पीछे छिपे विज्ञान को समझने के लिए राजस्थान सरकार का शोध संस्थान तैयार है। इस संस्थान को बनाने का उद्देश्य वेदों के जरिए ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को पता लगाना और मधुमेह, ब्लड प्रेशर तथा कैंसर जैसी बीमारियों का स्थायी निदान तलाश करना है। यह देश में अपनी तरह का पहला संस्थान है और जल्द ही इसमें कामकाज शुरू होने जा रहा है।

ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब वेद सहित अन्य प्राचीन ग्रंथों के पठन-पाठन से कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिलेगा और दुनिया में भारत का मान बढ़ेगा। बता दें कि वर्ष 2005 में राज्य के तत्कालीन शिक्षामंत्री घनश्याम तिवारी ने इस प्रतिष्ठान का प्रस्ताव दिया था। जिसके बाद आज जाकर इसका काम पूरा हो गया है।

ऐसे में सोमवार को जगद्गुरु रामनंदाचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी के तहत स्थापित राजस्थान मंत्र प्रतिष्ठान ने शिक्षकों समेत विभिन्न पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों का आवेदन मांगा है। राजस्थान संस्कृत अकादमी की चेयरपर्सन जया दवे ने कहा कि यह संस्थान लुप्त हो चुके भारत के प्राचीन ज्ञान को फिर से हासिल करने का प्रयास करेगा। बता दें कि वर्ष 2015-16 में वसुंधरा राजे सरकार ने यूनिवर्सिटी कैंपस में संस्थान की बिल्डिंग बनाने के लिए 24 करोड़ रुपये जारी किए थे। संस्थान के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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