रस्सियों के सहारे उपनती नदी को पार करने के जज्बे से भरपूर पहाड़ की बेटियों ने इससे भी एक कदम आगे बढ़कर पुनर्निर्माण की चुनौतियों को स्वीकार किया है। पिछले कई दिनों से भारी बारिश से जगह जगह हुए भूस्खलन के बाद ध्वस्त सड़कों को बनाने के काम में जुटी है। इनमें से कुछ नेहरू पर्वतारोहण संस्थान यानि निम से जुड़ी हैं। जो अब JCB जैसी भारी भरकम मशीन चला रहीं हैं। इन लड़कियों ने तमाम परंपराओं को तोड़ते हुए केदारनाथ के पुननिर्माण का बीड़ा उठाया है। ये लड़कियां केदारनाथ के पुनर्निर्माण में जुटे हिस्सा हैं। उत्तराखंड की अगस्त्यमुनि निवासी नीमा नेगी महज कुछ दिनों में ही जेसीबी मशीन चलाना सीख गई हैं।

हंसते-हंसते ऊफनती नदी करती हैं पार

केदारनाथ को संवारने में उत्तरकाशी निवासी गंगा राणा और वंदना रावत भी जुड़ी हैं। जो जेसीबी मशीन चलाने के साथ ही गंगा केदारनाथ यात्रा पर आए श्रद्धालुओं  को यह भी सिखा रही है कि नदी किस तरह पार करनी है। ये बहादुर लड़कियां खतरनाक नदी को कई फीट की ऊंचाई से रस्सियों के सहारे हंसते हुए चंद सेकंड में पार कर रही है।

निम और अन्य संस्थानों से हैं जुड़ीं

इनके साथ ही रुद्रप्रयाग की गुंजन, कंचन, ममता, किरन, शालिनी, रचना, पूजा, वंदना और अमृता सुरक्षा दीवार के गार्डरों की पेंटिंग सहित स्टोरकीपर और मास्टर स्टोर होल्डर की भूमिका निभा रही हैं। जबकि, विनिता पवार स्टोन कटर चलता हैं, ये सभी आने वाले समय में भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहती हैं।

सेना में जाकर देश सेवा का जज्बा

उत्तराखंड में साल 2013 की आपदा ने केदारनाथ में भी बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी। निम के नेतृत्व में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य पर पीएम नरेंद्र मोदी भी नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में ये बेटियां भी बुलंद हौसलों के साथ पुनर्निर्माण में जुटी हैं।

बेटियों के जज्बे को करें सलाम

चुनौतीपूर्ण हालातों की फिक्र किये बगैर कई बेटियों ने यहां ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे जानकर और सुन कर आप भी हैरान रह जायेंगे। ये बेटियां उस केदारनाथ को संवार रही हैं जिसके बारे में पहाड़ की आम बोलचाल में लोग बोलते हैं अगर इस मौसम में अगर केदारनाथ जाओ तो कम्बल और कफन दोनों साथ लेकर जाओ। तो, आईये हम सभी इन बेटियों के जज्बे को सलाम करें।

                                                                                                                       एपीएन ब्यूरो

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