कोई भी व्यक्ति अपने पैसों को सुरक्षित करने के लिए बैंक में जमा करवाता है। लेकिन जब उसे पता चले कि बैंक ने ही उसके पैसे हजम कर लिए हैं तो वह व्यक्ति बैंको पर विश्वास कैसे करेगा?

ऐसा ही एक मामला भारतीय स्टेट बैंक का भी सामने आया है। एसबीआई ने केसीसी धारक किसानों के खाते से उनकी बिना सहमति के 990 रूपए उनके खाते से निकाल लिए। एसबीआई के अनुसार देश की सभी एसबीआई ब्रांचों में लगभग 1 करोड़ 1 लाख केसीसी धारक हैं और कुछ इस तरह से किसानों से 990 करोड़ रूपए वसूले गए हैं। मध्य प्रदेश में कुल 68 लाख केसीसी धारक किसान है। इनमें से एसबीआई के 6 लाख ग्राहक हैं। एसबीआई ने मध्य प्रदेश के 6 लाख किसानों के 60 करोड़ रूपए काटे हैं।

यह राशि ऐसी सुविधा के लिए काटी गई है जो केंद्र सरकार पहले से ही किसानों को मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब मध्य प्रदेश के नटेरन तहसील के एक किसान हजारीलाल शर्मा के पास खाते से 990 रूपए मौसम की जानकारी के नाम पर काटे गए। शर्मा ने संबधित शाखा में रूपए कटने का विरोध किया और रूपए वापस लौटाने की लिखित शिकायत की। लेकिन बैंक मैनेजर ने रूपए वापस नहीं किये।

एसबीआई बैंक मैनेजर बीएस बघेल का कहना है कि एसबीआई के सभी केसीसी धारकों के खातों से राशि मुम्बई स्थित मुख्य शाखा से काटी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह राशि पूरे देश की ब्रांचों में काटी गई है। उन्होंने माना कि राशि काटने से पहले किसानों से पूछा नहीं गया था। हालांकि उनका कहना था कि जो किसान राशि वापसी के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें राशि वापस की जा रही है। आरबीआई के नियमानुसार किसी भी खाताधारक की बिना अनुमति के बैंक खाते से रूपए नहीं निकाल सकती है। लेकिन इस मामले में बैंक ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन किया है।

आरएमएल के सीईओ राजीव तेवतिया का कहना है कि “आरएमएल कंपनी ने एसबीआई से 16 राज्यों में 500 बैंक शाखाओं के लिए टाईअप किया है। इन शर्तों में किसानों की सहमति का होना आवश्यक है। यदि किसानों की बिना सहमति से उनके खातों से राशि काटी गई है तो यह गलत है। हमारे पास शिकायत आएगी तो किसानों की राशि वापस की जाएगी। कंपनी की सुविधा सरकार की मुफ्त सुविधा से बिल्कुल अलग है। हम किसानों को उनकी प्राथमिकता के आधार पर जानकारी उपलब्ध कराते हैं।”

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