उत्तराखंड की हसीन वादियां अगर सैलानियों को आकर्षित करती हैं तो ऋषिकेश में गंगा की तेज धाराओं को चीरते हुए रिवर राफ्टिंग का रोमांच भी अपनी तरफ खींचता है। उत्तराखंड के लिए पर्यटन उद्योग सबसे अहम उद्योग है। राज्य की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की नीतियां भी बना रही है। लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले ने फिलहाल रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग के रोमांच पर रोक लगा दी है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग पर दो हफ्ते के लिए रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने दो हफ्ते में राज्य सरकार से इसके समेत अन्य एडवेंचर खेलों के लिए उचित नियम बनाने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल,  गंगा की लहरों से लड़ाई का रोमांच सबको पसंद आता है। लेकिन इसके लिए भी कुछ नियम होते हैं। दुस्साहस से भरे एडवेंडर खेलों की दीवानगी सैलानियों को यहां खींच लाती है तो नियमो की कमी और सुरक्षा मानकों की अवहेलना से कभी-कभी सैलानियो की जान भी जोखिम में पड़ जाती है। इसी को देखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग और अन्य एडवेंचर खेलों के लिए दो हफ्ते में उचित नियम और नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। निश्चित रूप से हाईकोर्ट के फैसले से रोमांच प्रेमियों को निराशा होगी, लेकिन इस उद्योग से जुड़े लोगों की तो रोजी रोटी ही मारी जाएगी।

हालांकि, राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद उसके प्रभावित होने वाले व्यवसायिक हितों पर ध्यान देने का भरोसा दिलाया है, पर उद्योग से जुड़े लोगों के मन में कई सवाल तो उठ ही रहे हैं। दरअसल, ऋषिकेश के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने 2014 में दो लोगों को रिवर राफ्टिंग कैंप लगाने के लिए कुछ शर्तों के साथ लाइसेंस दिया था। लेकिन इन शर्तों का लगातार उल्लंघन किया गया और राफ्टिंग के नाम पर गंगा नदी के किनारे कैंप लगा कर असामाजिक कार्य किए जाने लगे। याचिका में यह भी कहा गया है कि नदी किनारे इस तरह के कैंपों को लाइसेंस देने से जल प्रदूषण बढ़ रहा है। अब देखना है सरकार हाईकोर्ट के फैसले पर क्या रुख अपनाती है और पानी से संबंधित खेलों को लेकर क्या नियम और नीति बनाती है।

—एपीएन, ब्यूरो रिपोर्ट

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