गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ महराज ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों को सही मंच पर जाकर आवाज उठानी चाहिए। शंकराचार्य ने गोवर्धन धाम में मंगलवार को यहां कहा कि मंदिर निर्माण का रास्ता न्यायालय या संसद से होकर जाता है। न्यायालय अपने ढंग से काम कर रही है। राम मंदिर संबंधी विवाद का फैसला जल्दी देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसलिए दूसरा विकल्प संसद में कानून बनाने का है। मंदिर निर्माण के लिए देश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दो तिहाई बहुमत से जिताया है। संसद में एक कानून पास हो जाये तो मंदिर का निर्माण साधु संतों एवं धर्माचार्यों द्वारा शुरू कर दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने का सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की विश्वसनीयता पर आजादी के बाद से संकट रहा है। उनकी पहचान हिंदूवादी संगठन के रूप में है। बयानबाजी करने वाले भाजपा तथा विश्व हिन्दू परिषद(विहिप) के नेताओं को प्रधानमंत्री पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाना चाहिए।

शंकराचार्य ने कहा कि हर भारतवासी चाहता है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने। आंदोलन के रास्ते मंदिर को तोड़ा तो जा सकता है पर बनाया नही जा सकता। मंदिर का निर्माण एक गरिमापूर्ण वातावरण में होना चाहिए।एक प्रश्न के उत्तर में शंकराचार्य अधेाक्षजानन्द देव तीर्थ ने कहा कि हकीकत यह है कि अयोध्या में राम मंदिर पहले से ही बना था। वहां पर विधिवत पूजन, आरती आदि हो रही थी। केवल वहां पर मंदिर को भव्यता प्रदान करनी थी। उस गलती को दूर करने का दूसरा रास्ता अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कानून बनाना ही है।

उन्होंने कहा कि मुख्य कार्य मंदिर निर्माण करना है न कि मुसलमानों के खिलाफ वातावरण बनाना है। जिस प्रकार से बयानबाजी हो रही है वह न्यायालय को खुली चुनौती देना जैसा भी है। प्रधानमंत्री को असहज स्थिति में डालना है। इसलिए भाजपा ,विहिप और आरएसएस को अयोध्या को केन्द्र बिन्दु बनाने की जगह प्रधानमंत्री निवास को केन्द्र बिन्दु बनाना चाहिए। उन्हें मंदिर निर्माण के लिए संसद में कानून बनवाने के लिए राजी करना चाहिए।

उन्होंने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के उस बयान से सहमति जताई है जिसमें कहा गया था कि मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न विचारधारा के लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा। मंदिर उस भावना के अनुरूप बने जिस भावना के तहत मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम को देश न केवल पूजता है बल्कि उनकी विचारधारा की विभिन्न वर्ग के लोगों में स्वीकार्यता है।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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