कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में पिछले साल से आधे से भी अधिक की कमी आई है। यह बात भारत के गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने संसद में कहीं। राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि 2017 में नवंबर तक पत्थरबाजी की कुल 1198 घटनाएं हुई, जबकि 2016 में करीब 2808 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं। इस तरह से पत्थरबाजी की घटनाओं में लगभग आधे से भी अधिक की कमी आई है।

अहीर ने बताया कि हमनें राज्य में व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेंट्रल आर्म पुलिस फोर्स के जवानों की पर्याप्त मात्रा में तैनाती की है। ये जवान जम्मू कश्मीर पुलिस की मदद करते हैं। इसके कारण ही पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। हालांकि उन्होंने सुरक्षा कारणों से तैनात जवानों की असल संख्या बताने से इंकार कर दिया।

सरकार का यह भी दावा है कि ऐसा नोटबंदी की वजह से संभव हो सका है। सरकार के अनुसार नोटबंदी से अलगाववाद को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगी है और ऐसा न सिर्फ कश्मीर घाटी बल्कि छत्तीसगढ़ में भी हो रहा है। उन्होंने कहा आतंकवादियों को धन की कमी नोटबंदी का प्रत्यक्ष परिणाम है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार हमेशा यह दावा करता रहा है कि नोटबंदी ने कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली फंडिंग पर चोट पहुंचाई है।

इससे पहले भी अगस्त में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि 2008 से 2010 के बीच सड़कों पर हजारों पत्थरबाज देखे जाते थे, जबकि पिछले कुछ महीनों में सड़कों पर 50 या 100 से ज्यादा पत्थरबाज नहीं देखने को मिला है। इसका प्रमुख कारण यह है कि आतंकवादियों की फंडिग घट गई है।

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