सबरीमाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को इंसाफ दिलाते हुए उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी। इस फैसले से भले ही सबरीमाला मंदिर का देखभाल करने वाले पुजारी और प्रशासन अप्रसन्न हो लेकिन पूरे देश भर में महिलाओं में इसको लेकर काफी खुशी है। लेकिन देश भर में कई मंदिर ऐसे भी हैं जहां पुरुषों का जाना वर्जित है। वहां की परंपरा पुरुषों को जाने से प्रतिबंधित करती हैं। वहां सिर्फ महिलाएं ही जा सकती हैं और पूजा-पाठ कर सकती हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या समानता का अधिकार सिर्फ महिलाओँ के लिए ही है या पुरुषों के लिए भी। क्या सुप्रीम कोर्ट में पुरुषों को इंसाफ मिल पाएगा? आईए देखते हैं कि देश में ऐसे कौन से मंदिर हैं जहां पुरुषों का जाना वर्जित है-

  1. अत्तुकल मंदिर- केरल में स्थित अत्तुकल भगवती मंदिर में महिलाओं की पूजा की जाती है। पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। यहां त्योहार के दौरान महिलाओं की सबसे बड़ी सभा देखने को मिलती है। हालांकि इस परंपरा का अभी तक किसी भी पुरुष ने विरोध नहीं किया है लेकिन विरोध का स्वर नहीं उठने से गलत चीज सही नहीं हो जाती।
  2. भगवती मंदिर- कन्याकुमारी में बने भगवती मंदिर में माता दुर्गा के कन्या रूप की पूजा होती है। पुराण के अनुसार यहां देवी सती के रीढ़ की हड्डी गिरी थी। उन्हें सन्यास की देवी भी माना जाता है। इसी कारण केवल सन्यासी पुरुष मंदिर के दरवाजे तक आ सकते हैं। शादीशुदा पुरुषों के आने पर पाबंदी है।
  3. माता मंदिर- एक निश्चित अवधि के दौरान बिहार के मुजफ्फरपुर में बने इस मंदिर में प्रवेश वर्जित हो जाता है। ये नियम इतने सख्त हैं कि पुरुष पुजारी को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। इस दौरान केवल महिलाएं यहां आ सकती हैं।
  4. त्र्यंबकेश्वर मंदिर- महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव विराजमान हैं। यहां के गर्भगृह में पहले महिलाओं के जाने पर रोक थी। जिसके बाद 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अगर महिलाओं का जाना वर्जित है तो पुरुषों के जाने पर भी प्रतिबंध लगे। इसके बाद गर्भगृह में पुरुषों का जाना मना हो गया।
  5. कामरूप कामाख्या मंदिर- असम में स्थित कामरूप कामाख्या मंदिर में माता की माहवारी का उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान यहां पुरुषों के प्रवेश पर रोक रहती है। केवल महिला संत और सन्यासिन मंदिर की पूजा करती हैं।

ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि अब चाहे महिला हों या पुरुष सबके आस्था को ध्यान में रखते हुए भगवान की शरण में जाने का हक सबको दिया जाए।

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