नीरव मोदी पीएनबी बैंक से 14 हजार करोड़ का घोटाला करने के बाद भारत से साल 2018 में फरार हो गया था। इस वक्त भगोड़ा नीरव मोदी लंदन की जेल में है। भारत सरकार उसे लाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है।

इस बीच नीरव मोदी ने भारत प्रत्यर्पण को रोकने के लिए लंदन हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मोदी ने आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति के लिए लंदन हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर किया था।

लंदन हाईकोर्ट के जज ने अपील के लिए प्रस्तुत कागजात पर निर्णय लिया और निर्धारित किया कि धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए मोदी के भारत प्रत्यर्पण के पक्ष में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फरवरी के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई आधार नहीं है।

कोर्ट के इस फैसले के बाद नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता साफ होता जा रहा है। बता दें कि फरवरी में ब्रिटेन की वेस्टमिन्सटर कोर्ट में नीरव के प्रत्यर्पण पर आखिरी सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने भी नीरव को भारत भेजने की मंजूरी दे दी थी। इसके बाद 15 अप्रैल को ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीति पटेल ने भी नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।

नीरव मोदी पर PNB से लोन लेकर करीब 14 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। घोटाला सामने आने के बाद वह जनवरी 2018 में देश छोड़कर फरार हो गया था। नीरव को साउथ-वेस्ट लंदन से 19 मार्च, 2019 को गिरफ्तार किया गया था। उसे वांड्सवार्थ जेल में रखा गया है।

बता दें कि सरकार घोटाले की भरपाई इनकी संपत्ति जब्त करके कर रही है। 23 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी सहित मेहुल चौकसी और विजय माल्या की कुल जब्त संपत्ति करीब 18,170.02 करोड़ रुपए की है।

इस विषय पर प्रवर्तन निदेशालय ने ट्वीट कर विस्तार में जानकारी मुहैया कराई थी। ट्वीट के अनुसार, उसके पास जब्त कुल संपत्ति बैंकों को हुए कुल लॉस का 80.42% है। इसका 41% हिस्सा वह सरकार और बैंकों को देने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि इससे तीनों से रकम की रिकवरी की जा सकेगी। इन पर बैंकों के 22,585.83 करोड़ रुपए की देनदारी है।

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