देश का चौकीदार बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने देवालय से पहले शौचालय का नारा दिया था। उन्होंने कहा था कि गांवों में मंदिरों पर लाखों रपये खर्च किये जाते हैं लेकिन वहां शौचालय नहीं हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का अभियान छेड़ा। लेकिन इस योजना को अधिकारी ही पलीता लगाने में जुटे हैं।

यूपी के गाजीपुर सदर विकासखंड के औरंगाबाद गांव में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय न बनने से नाराज लोगों ने अपने विरोध प्रदर्शन से सरकार को आईना दिया। ओडीएफ में की जा रही गड़बड़ियों को मुंह चिढ़ाया। अपने हाथों में लोटा डिब्बा और बोतल लेकर सड़कों पर निकले। जनप्रतिनिधियों और शासन को सद्बुद्धि आये का नारा लगाया। यहां 300 परिवारों का दर्द एक ही है कि शौचालय जमीन पर तो कहीं बना नहीं लेकिन सरकारी फाइलों में जरूर बन गए होंगे।

गाजीपुर जिले को खुले में शौच से मुक्त कराने की कवायद के तहत सरकारी पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। लेकिन गाजीपुर के औरंगाबाद गांव के लोगों को सरकारी शौचालय नसीब नहीं है। जबकि यहां सवर्ण, पिछड़े, अनुसूचित जाति तथा अल्पसंख्यक वर्ग के लोग रहते हैं। जिनके पास पैसा है उन्होंने स्वयं शौचालय बनवाएं हैं। लेकिन  75% परिवारों के पास शौचालय नहीं है। ग्राम पंचायत, खंड विकास अधिकारी और जिला मुख्यालय पर गुहार लगाने के बाद भी शौचालय नहीं बना। मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की गई तो राशि जारी होने पर शौचालय बनवाने की बात कही गई।वहीं बचाव में जिला पंचायती राज अधिकारी गजब की दलील देते दिखे।

शासन के मुताबिक 2 अक्टूबर तक गाजीपुर जिले के सभी गांव ओडीएफ घोषित हो जाएंगे।लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।वहीं गांव के लोगों का साफ कहना है कि शौचालय नहीं बना तो अब अपने हाथों में लोटा, डिब्बा और लेकर जिला मुख्यालय में बैठे साहबों की नींद तोड़ेंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट,एपीएन

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