साउथ दिल्ली की 7 कॉलोनियों में सरकारी आवास बनाने के लिए क़रीब 17 हज़ार पेड़ों को काटने की केंद्र सरकार की योजना के ख़िलाफ़ दिल्ली हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 जुलाई तय की है। कोर्ट ने कहा है कि एनजीटी में मामले की सुनवाई तक रोक लगाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनबीसीसी के पेड़ काटने पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने पूछा कि आप आवास बनाने के लिए हजारों पेड़ काटना चाहते हैं लेकिन क्या दिल्ली ये अफोर्ड कर सकती है। 2 जुलाई तक कोई और पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर रोड बनाने आदि के लिए पेड़ काटने होते तो ठीक था। कोर्ट ने NBCC को कहा कि आप तो सिर्फ एजेंसी हैं जो काम कर रही है। हम सरकारी एजेंसियों की बात सुनना चाहते हैं। एनजीटी का आदेश कहां है जिसमें कहा गया है कि पेड़ काट सकते हैं।

NBCC की ओर से कोर्ट में कहा गया कि दो जुलाई को मामला NGT में सुनवाई के लिए आएगा। हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। ट्री अथॉरिटी ने भी पेड़ काटने की इजाजत दी है। हमने आठ करोड़ रुपये डीडीए में जमा भी कराए हैं। दिल्‍ली हाइकोर्ट के दख़ल के बाद NBCC की अंडरटेकिंग दी है जिसमें कहा गया है कि 4 जुलाई तक दिल्‍ली में पेड़ नहीं काटे जाएंगे। इस मामले की सुनवाई एनजीटी में दो जुलाई को होनी है।

इस बीच दिल्ली में पेड़ काटे जाने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने भी सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू की थी। आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘दिल्ली सरकार और आप इस प्रॉजेक्ट के पूरी तरह खिलाफ है, क्योंकि 16 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाने का पर्यावरण पर जो असर पड़ेगा, वह अंतत: दिल्ली के आम लोगों को ही भुगतना पड़ेगा।

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