जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के द्वारा की गयी अपील के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सुरक्षा बलों से कहा कि वे रमजान के पाक महीने में जम्मू-कश्मीर में कोई भी सैन्य अभियान नहीं चलाएं। केंद्र सरकार के द्वारा लिया गया यह फैसला आम कश्मीरियों को  शांतिपूर्ण माहौल में रमजान मनाने में मदद करेगा। हालांकि मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा बलों पर हमले की स्थिति में या बेगुनाह लोगों की जान की हिफाजत के लिए जरूरी पड़ने पर जवाब देने का अधिकार होगा। राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के द्वारा 2001 में वाजपेयी सरकार के द्वारा कश्मीर में की गयी पहल को दोहराने की जरुरत बताई थी। लेकिन संघर्ष विराम की एकतरफा पहल के कुछ घंटे बाद शोफियां में आतंकियों ने आर्मी जीप पर हमला कर दिया।  जिसके बाद से सोशल मीडिया पर लोगो ने संघर्ष विराम की पहल पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया।

सेना प्रमुख ने पूर्व में दिए गए बयान में कश्मीर में हथियार उठाने पर कड़ी कार्यवाई करने की बात कही थी। दरअसल, कश्मीर में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद राज्य में आतंकियों के खिलाफ भारतीय सेना ने कई बड़ी कार्रवाई की है। लेकिन जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती लगातार कश्मीर के बिगड़ते माहौल को संभालने के लिए सीज फायर की अपील कर रही थी। महबूबा ने 9 मई को हुयी ऑल पार्टी मीटिंग के बाद केंद्र सरकार से रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए आतंकियों के खिलाफ एकतरफा सीजफायर करने की अपील कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की जम्मू-कश्मीर नीति को अपनाने की बात दोहराई थी। साल 2001 में वाजपेयी के द्वारा एकपक्षीय युद्धविराम कर आम कश्मीरियों के बीच विश्वास बहाली का प्रयास किया गया था। महबूबा का कहना था कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई से आम लोगों को भी खासी समस्याएं हो रही हैं।

रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए  कश्मीर में  शांतिपूर्ण हालात बनाए रखने की यह पहल है।

दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर सरकार में सत्ता में सहभागी भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय इकाई एक तरफा संघर्ष विराम की मांग का विरोध कर रही हैं। उनका मानना हैं की ऐसा कदम राष्ट्रीय हित में बिल्कुल नही है और अभी तक सेना की कार्रवाई से आतंकवादियों के हौसले पस्त हुए हैं वहीं एकतरफा संघर्ष विराम सेना के द्वारा आतंकियों के खिलाफ किये गए अब तक कार्यवाई को रोकने का काम करेगा।

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