झारखंड पुलिस ने राजधानी में आतंक की बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। एटीएस और साइबर थाना पुलिस ने मंगलवार देर रात छापेमारी की और सात हजार से अधिक सिमकार्ड के साथ सिम बॉक्स जब्त किए। कहा जा रहा है कि इस सिम बॉक्स के जरिए आर्मी इंटेलिजेंस की खबरें भी लीक की जा रही थी। एटीएस को शुरुआती जांच में पता चला है कि इस नेटवर्क के जरिए उन्माद वाले मैसेज वायरल करने की साजिश रची जा रही थी। कांटाटोली के हसीबा इनक्लेव से एटीएस ने सिम बॉक्स, दस हजार सिम, सैकड़ों डोंगल और एक कंप्यूटर जब्त किया गया है। एटीएस ने इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया है।

पूछताछ में यह बात सामने आई है कि हसीबा इनक्लेव में जावेद अहमद बल्क में एसएमएस और ई-मेल भेजने के लिए वन एक्सटेल नामक कंपनी के लिए काम  कर रहा था। यह कंपनी नोयडा के सेक्टर 63 में है। कंपनी बल्क एसएमएस और ई-मेल के अलावे, मिस कॉल सर्विस, वाइस एसएमएस, लांग कोड सर्विस और शार्ट कोड सर्विस जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराती है। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए अवैध रूप से सिम बॉक्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। सिम बॉक्स में लगाने के लिए 3000 पोस्टपेड सिम जून महीने में ही मो. जावेद ने भारती एयरटेल के पटना स्थित पाटलीपुत्र इंडस्ट्रीयल एरिया कार्यालय से जारी कराया था।

सभी पोस्टपेड सिम वनएक्सटेल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जारी करवाया गया है। सिम जारी कराने के कागजात एटीएस को मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है। जांच में यह बात सामने आई है कि जिस सिम बॉक्स का इस्तेमाल किया जा रहा था, वह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अवैध तरीके से इसका इस्तेमाल किया जा रहा था। अब हसीबा इनक्लेव से जब्त सिम, सिम बॉक्स, डोंगल और कंप्यूटर की जांच आईबी भी कर सकती है, क्योंकि इनके द्वारा कहा कहा मैसेज भेजा गया और किस तरह के बल्क मैसेज भेजे गए इसकी जांच की जा रही है। सीआईडी और साइबर पुलिस की टीम ने भी हिरासत में लिए गए तीनों युवकों से पूछताछ की।

वहीं पुलिस मो. अहमद (28) को खोज रही है, जिसने नाम से यह सिम बॉक्स चल रहा था। मो. अहमद कृष कॉलोनी कांटाटोली में रहता है। जांच में यह बात सामने आई है कि मो. अहमद ने पटना से सात हजार सिम जारी करवाए थे। एटीएस ने जब मंगलवार की रात हसीबा इनक्लेव में छापेमारी कर इन्हे पकड़ा था, उस समय भी ये बल्क में मैसेज ही भेज रहे थे।

एक सिम से 115 रुपए के प्लान में 3000 एमएमएस भेजा जा सकता है। जांच में यह बात सामने आई है कि पटना से सिम कॉर्पोरेट कनेक्शन के नाम पर लिया गया। प्रत्येक सिम को 115 रुपए के प्लान में एक्टिवेट कराया गया था। जिससे प्रत्येक सिम से हर महीने 3000 एसएमएस भेजे जा सकते थे। पोस्टपेड सिम के बिल का पेमेंट भी वन एक्सटेल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को ही करना था। भारती एयरटेल से सिम लेने के लिए कंपनी की ओर से लेटर दिया गया है, उसमें बताया गया है कि बिजनेस के लिए सिम लिया जा रहा है। यह भी लिखा गया है कि किसी भी सिम को 18 महीने से पहले डिएक्टिवेट नहीं करना है। यह बात नहीं बताई गई है कि सिम का इस्तेमाल बल्क में  एसएमएस भेजने के लिए किया जाएगा।

बल्क में दो तरह के एसएमएस भेजे जाते हैं । एक ट्रांजेक्शनल एसएमएस और दूसरा प्रमोशनल। दोनों को भेजने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया  से गेटवे लेना पड़ता है। इसके लिए ट्राइ को प्रति एसएमएस की दर से पैसे देने पड़ते  हैं। दोनों तरह के एसएमएस के लिए अलग अलग चार्ज है। 10 पैसे से लेकर 18 पैसे प्रति एसएमएस तक चार्ज गेटवे को देने पड़ते हैं। लेकिन अवैध रूप से बल्क एसएमएस भेजने वालों ने इसका तोड़ निकाल लिया है।

पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है, क्योंकि सिम बॉक्स के संचालकों की तलाश इंटरपोल भी कर रही थी। इसी सिम बॉक्स का इस्तेमाल चुनाव में भी गलत ढंग से किया जा सकता था।

ट्राई से अधिक पैसे देकर गेटवे लेने की जगह अब अवैध रूप से हजारों की संख्या में सिम जारी करवा, बल्क एसएमएस भेजने का काम किया जा रहा है। इसमें अवैध रूप से धंधा करनेवालों को एक एमएसएस पर अधिकतम चार से पांच पैसे ही खर्च आते हैं और ये ग्राहक से 14 से 15 पैसे लेकर बाकी सारा पैसा अपने पास रख लेते हैं। अगर यही काम ये ट्राई के गेटवे के जरिए करे तो इसके लिए इन्हें ग्राहक से प्रति एसएमएस के लिए 25 से 30 पैसे लेने पड़ेंगे। जो ग्राहक के लिए महंगा पड़ेगा व ग्राहक इनके पास आएगा नहीं।

                                                                                                                 ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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