देश में शिक्षा व्यवस्था का हाल कैसा है, नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट ने एक बार फिर से साबित कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले करीब 53 प्रतिशत और पांचवी में पढ़ने वाले करीब 44 प्रतिशत बच्चे हिंदी और गणित विषय में कमजोर हैं। वहीं 50 प्रतिशत से ऊपर बच्चे सोशल साइंस में कमजोर हैं। बता दें कि सर्वे में नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले तीसरी और पांचवी क्लास के बच्चों का टेस्ट लिया गया था जिसमें पता चला कि ये बच्चे हिंदी और गणित में बेहद ही कमजोर हैं।
गौरतलब है कि शिक्षा गुणवत्ता की जांच के लिए प्रदेशभर में एनसीईआरटी नेशनल अचीवमेंट सर्वे हुआ। इसमें दुर्ग जिला छठवें स्थान पर है। सर्वे की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। क्योंकि प्रदेश में गणित की पढ़ाई की स्थिति काफी खराब है। जिलों में पांचवी में पढ़ने वाले करीब 44 प्रतिशत बच्चे गणित में कमजोर हैं। वहीं, साउथ एमसीडी मेयर कमलजीत सहरावत के अनुसार, टेस्ट में पाया गया कि साउथ जिले में स्थित एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले तीसरी क्लास के 45.24 प्रतिशत, वेस्ट में 57.06 प्रतिशत , सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में 45.36 प्रतिशत , पूर्वी दिल्ली में 57.09 प्रतिशत , नई दिल्ली में 58.08 प्रतिशत, नॉर्थ दिल्ली में 53.72 प्रतिशत , नॉर्थ- ईस्ट दिल्ली में 51.52 प्रतिशत , नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में 50.85 प्रतिशत और साउथ-वेस्ट दिल्ली में 53.36 प्रतिशत बच्चे गणित में कमजोर हैं। बता दें कि जिले के 173 स्कूलों में नेशनल अचीवमेंट सर्वे की परीक्षा हुई।
गणित के कमजोर होने की वजह एक्सपर्ट बताते हैं कि निरंतर अभ्यास न करने के कारण बच्चों की गणित कमजोर होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार यह अभ्यास का विषय है जितना अभ्यास होगा, परिणाम उतने अच्छे आएंगे। फिलहाल स्थिति गंभीर दिख रही है। स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि तीसरी क्लास के करीब 57 प्रतिशत बच्चे हिंदी में कमजोर पाए गए। इसमें से ईस्ट और नई दिल्ली के एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले 62 प्रतिशत बच्चे हिंदी में कमजोर पाए गए हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवी के 52 प्रतिशत बच्चे हिंदी में कमजोर पाए गए।