सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आदेश दिया है कि वह केरल के कथित ‘लव जिहाद’ मामले की जांच करे। कोर्ट ने इस जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस आरवी रवींद्रन की नियुक्ति भी की है। इससे पहले 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस से कहा था कि वह मामले में एनआईए को सहयोग दे, ताकि इस मामले के दूसरे पहलुओं का पता लगाया जा सके।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि एनआईए का जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे कोई कार्यवाही होगी। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि यह अकेला केस नहीं है, बल्कि ऐसा ही एक और केस सामने आया था और दोनों मामले एक ही संगठन से संबंधित हैं। वहीं, केरल सरकार एनआईए जांच के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
आखिर क्या है ‘लव जिहाद‘ का यह मामला
केरल में एक हिंदू लड़की अखिला ने धर्म परिवर्तन कर अपने मुस्लिम प्रेमी शफीन जहां से निकाह किया था। इससे नाखुश लड़की के पिता केएम अशोकन ने केरल हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर शादी तोड़ने की गुहार लगाई थी। लड़की के पिता ने याचिका में कहा था कि उनके लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है। उन्होंने लड़के पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) से जुड़े होने का आरोप भी लगाया था।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए निष्कर्ष निकाला था कि यह शादी बहला फुसलाकर और दबाव में कराई गई है। कोर्ट के मुताबिक, ‘शादी लड़की के जीवन का अहम फैसला था और अभिभावक की उपस्थिति में होनी चाहिए थी।’ इस शादी को ‘लव जिहाद‘ की संज्ञा देकर हाई कोर्ट ने शादी को रद्द कर दिया था और लड़की को उसके घरवालों के पास भेज दिया था।
इसके जवाब में उसके पति ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर न्याय करने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार, एनआईए और लड़की के पिता को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है, इसलिए इस पर विस्तार से सुनवाई के लिए एनआईए की जांच रिपोर्ट की जरुरत है।