दिल्ली की गर्भवती महिला को सुप्रीम कोर्ट से राहत देने वाला फैसला मिला है। बता दें कि महिला 22 सप्ताह की गर्भवती है और उसने सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात के लिए गुहार लगाई थी। दरअसल महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की दोनों किडनिया नहीं हैं और साथ ही पैरों का विकास भी पूरे तरीके से नहीं हो पाया है।
महिला ने डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद 2 फरवरी को अदालत में याचिका दर्ज की थी। जिसका फैसला आज आ चुका है और वह महिला के पक्ष में है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर महिला यह गर्भपात नहीं करवा पाती तो उसकी जान को खतरा हो सकता था। इसी बात को आधार बनाकर महिला ने कोर्ट में 22 सप्ताह का गर्भ गिराने की अपील की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया और महिला की स्थिति को मदृदेनजर रखते हुए उसे गर्भपात की इजाज़त दे दी।
नियम के अनुसार 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कराना गैरकानूनी माना जाता है। मगर पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने विशेष परिस्थितियों में इस तरह की अनुमति दी है।